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गुप्त नवरात्री में क्या करे ? जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से…

गुप्त नवरात्री में क्या करे ? जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से

डॉ सुमित्रा अग्रवाल
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री
कोलकाता
यूट्यूब वास्तुसुमित्रा

कोलकाता।

आषाढ़ गुप्त नवरात्री : २६ जून से ४ जुलाई

1. स्थान की तैयारी
पूजा कक्ष साफ करें

पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके पूजा करें

रात्रि में एकांत में साधना उपयुक्त मानी जाती है

2. संकल्प और आवाहन
हाथ में जल लेकर मंत्र द्वारा संकल्प लें:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”

माँ दुर्गा या महाविद्याओं का आवाहन करें

3. देवी की स्थापना
माँ दुर्गा, काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी आदि महाविद्याओं की मूर्ति या चित्र स्थापित करें

लाल वस्त्र, फूल, चावल, कुमकुम से पूजन करें

4. पूजन सामग्री
लाल फूल, काले तिल, लाल चंदन, घी का दीपक

मिष्टान्न, नारियल, लौंग, इलायची, सिंदूर

नींबू, नीला कपड़ा, रुई (विशेषकर काली की साधना में)

5. मंत्र जप / पाठ
महाविद्या विशेष जप करें, जैसे:

काली: “ॐ क्रीं कालिकायै नमः”

तारा: “ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट्”

त्रिपुरसुन्दरी: “ॐ ऐं क्लीं सौः”

नवाक्षरी मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” (१०८ या १००८ बार)

दुर्गा सप्तशती का पाठ (यदि आप सामान्य भक्ति विधि से करना चाहें)

6. हवन
हवन में लौंग, घी, गुड़, तिल, नीम की लकड़ी, कपूर डालें

विशेष रूप से यंत्र-पूजन भी किया जाता है

7. ब्राह्मण या कन्या भोजन
साधना की पूर्णता पर कन्या पूजन या ब्राह्मण भोज कराया जा सकता है

साथ ही “गुप्त” दान: बिना किसी को बताए

सावधानियाँ
गुप्त नवरात्री साधना गुप्त रखें – किसी को न बताएं

मांस, मदिरा, क्रोध, वाणी दोष से बचें

रात्रि जागरण हो तो नियमानुसार करें

साधारण मंत्र जप + सप्तशती पाठ करें

गुप्त नवरात्री के लाभ
शत्रुनाश, वशीकरण, मोहमारण जैसे तांत्रिक प्रयोग

दुर्लभ सिद्धियाँ, आत्मबल, कुंडलिनी जागरण

विशेष कामनाओं की पूर्ति :धन, संतान, प्रतिष्ठा

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