जब इसी मनुष्य शरीर में प्रभु का दर्शन हो जाता है तब जिस चीज की इच्छा करते हैं; वह पूरी हो जाती है – बाबा उमाकान्त महाराज

जब इसी मनुष्य शरीर में प्रभु का दर्शन हो जाता है तब जिस चीज की इच्छा करते हैं; वह पूरी हो जाती है – बाबा उमाकान्त महाराज
हनुमान जब संजीवनी लाने गए तो इच्छा किया और सिद्धियों के द्वारा कभी छोटा, तो कभी भारी-भरकम हो गए
उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने बताया कि पूछा जाए कि दुनिया किसने बनाया, तो कहोगे कि भगवान ने बनाया। तो अगर दुनिया बनाने वाला आपको मिल जाए तो दुनिया की चीजों के लिए तरसना पड़ेगा या नहीं तरसना पड़ेगा। जब लोग भगवान का दर्शन इसी घट में करने लगते थे, जब भगवान की प्राप्ति कर लेते थे तब जिस चीज की इच्छा करते थे वही इच्छा पूरी हो जाती थी।
“जो इच्छा कीन्ही मन माहीं, हरि प्रताप कछु दुर्लभ नाहीं”।
अगर एक काम यही हो जाए कि प्रभु का दर्शन इस मनुष्य शरीर में हो जाए तो अभी ही सारा संकट दूर हो जाए, सारे कर्म कट जाएं। यह जो घर-घर की बीमारी है, लड़ाई-झगड़ा है, यह जो ईर्षा-द्वेष है, जब रुपया-पैसा में बरकत नहीं होती, कमाई बहुत करते हो लेकिन पता नहीं चलता कहाँ चला जाता है; यह सब चीजें अभी खत्म हो जाएं।
हनुमान ने इच्छा किया और सिद्धियों के द्वारा कभी छोटा, तो कभी भारी-भरकम हो गए
जब लक्ष्मण को शक्ति बाण लगा तब हनुमान जी को आदेश हुआ कि जाओ तुम सुबह होने से पहले संजीवनी ले आओ, तो लक्ष्मण जी जीवित हो जाएंगे और नहीं तो बहुत मुश्किल है। तब हनुमान जी ने सोचा कि दूरी ज्यादा है, अगर हम ऐसे जायेंगे तो पहुंच नहीं पाएंगे इसीलिए हमको उड़ कर के जाना पड़ेगा। तब उन्होंने इच्छा किया कि हम छोटे बन जाए और छोटे बन कर उड़ कर के गए। जब संजीवनी नहीं पहचान में आई तब बोले कि पूरा पहाड़ ही उठा करके ले चले, तो फिर इच्छा किया कि हम भारी-भरकम शरीर वाले बन जाए, तो गरिमा शक्ति आ गई और भारी-भरकम शरीर हो गया, फिर पहाड़ को उठा लिया। जब उड़ना हुआ तब फिर इच्छा किया कि पहाड़ छोटा बन जाए तो अणुमा शक्ति ने छोटा बना दिया और पहाड़ ला कर के रख दिया।
हनुमान ने किस नाम से राम को वश में किया था ?
आप किताबों को खूब पढ़ते हो; हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, दुर्गा शक्ति पाठ, गीत का पाठ, रामायण की चौपाइयाँ भी पढ़ते हो लेकिन उसी में लिखा है
“राम ना सकहीँ नाम गुण गाई, कह लग करूं मैं नाम बड़ाई” नाम का गुणगान राम भी नहीं कर सकते, उसके महत्व को नहीं समझा सकते,
“सुमिर पवन सुत पावन नामु, अपने बस करि राखो रामू”
उन नामों को याद कर के हनुमान जी ने राम को अपने बस में कर लिया था। अब यह नाम मिलेगा कहाँ? तो उसी में लिखा है
“नाम रहा सन्तन आधीना, सन्त बिना कोई नाम न चीन्हा”
वह नाम सन्तों के पास मिलेगा।