अन्य ख़बरें

जब यह मानव मंदिर गंदा हो जाता है तो अंतर में भगवान का दर्शन नहीं होता है, प्रभु की दया हट जाती है – बाबा उमाकान्त महाराज

जब यह मानव मंदिर गंदा हो जाता है तो अंतर में भगवान का दर्शन नहीं होता है, प्रभु की दया हट जाती है – बाबा उमाकान्त महाराज

इस चीज को लोग भूले हुए हैं कि जान बचाना बहुत बड़ा पुण्य और जीव हत्या करना बहुत बड़ा पाप होता है

दहाणु, पालघर, महाराष्ट्र। बाबा उमाकान्त महाराज ने 26 जुलाई 2025 के सतसंग में कहा कि जब आपकी अंदर की आँख के सामने का पर्दा हटेगा तब आपको ऊपर के लोक दिखाई देंगे। अब पर्दा कौनसा लगा हुआ है? जान या अनजान में बने कर्मों का पर्दा लगा है। जानवरों से अगर कर्म बन जाएं तो उसकी माफी हो जाती है लेकिन मनुष्य शरीर से जो कर्म बन जाते हैं उसकी माफी नहीं होती है, क्योंकि जानवरों में बुद्धि नहीं होती है, वे अज्ञान होते हैं लेकिन मनुष्य तो ज्ञानी है। कुछ लोग तो रोज जानकर के गलती करते हैं। कैसे करते हैं?

वे यह सुनते हैं कि माँस नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह मानव मंदिर गंदा हो जाता है और इसीलिए भगवान का दर्शन अंतर में नहीं होता है, प्रभु की दया हट जाती है, किसी भी पशु-पक्षी का माँस खाने से तरह-तरह की बीमारियाँ आ जाती है। लेकिन चूंकि अब जबान को स्वाद लग गया तो जानकर के खाते हैं।

कोई जानवर जब मारा जाएगा तभी तो उसका माँस निकलेगा! देखो, कितने बकरे कट रहे हैं, कितनी गायें कट रही हैं, कितने भैंस कट रहे हैं, लेकिन अगर लोग खाना बंद कर दें तो उनकी जान बच जाएगी कि नहीं? बच जाएगी।

जान बचाना बहुत बड़ा पुण्य होता है और जीव हत्या करना बहुत बड़ा पाप होता है, लेकिन इस चीज को वे लोग भूले हुए ही हैं। तो जब भूले रहेंगे तब कर्म तो आएगा ही। और अंतर में प्रभु का दर्शन तभी होगा जब वह तीसरी आंख के सामने जो कर्मों का पर्दा है वह हटेगा।

प्रभु पर विश्वास हो जाए तो अभी सब काम बन जाएं

अगर प्रभु का दर्शन आदमी को हो जाए, प्रभु पर विश्वास हो जाए तो अभी सब काम बन जाएं, क्योंकि देने वाला, करने वाला सब वही है। उदाहरण के लिए; बच्चे के पैदा होने के पहले ही माँ के स्तन में दूध भर जाता है, कौन भरता है? वही भरता है जिसने आपको यह मनुष्य शरीर दिया है कि एक बार तुम्हें मौका देते हैं, तुम जाओ और जन्मने-मरने की पीड़ा से बचो। तुम सच्चे, समरथ गुरु को खोज लेना और उनसे उपाय पूछ कर के दुबारा फिर इधर माँ के पेट में मत आना। क्योंकि माँ के पेट में बच्चा चिल्लाता है कि हम पर दया करो, हमें बाहर निकालो। वही दूध भरता है माँ के स्तन में। तो आपकी परवरिश तो वह करता है।

अब चूंकि वह कर्मों का पर्दा लगा हुआ है इसीलिए आप सोचते हो कि मैं नहीं करूंगा तो नहीं होगा, मैं नहीं कमाऊंगा तो नहीं होगा और यह सब हमारी मेहनत से ही हो रहा है। जबकि आपके करने से कुछ नहीं होता है क्योंकि जो समरथ गुरु होते हैं वह करते हैं।

Related Articles

Back to top button