राजस्थान

आप हिंसा-हत्या के पाप से तभी बच पाओगे, पूर्ण धार्मिक तभी कहे जाओगे जब आप हर जीव पर दया करोगे – बाबा उमाकान्त महाराज

आप हिंसा-हत्या के पाप से तभी बच पाओगे, पूर्ण धार्मिक तभी कहे जाओगे जब आप हर जीव पर दया करोगे – बाबा उमाकान्त महाराज

मनुष्य का यह धर्म है कि जीते जी अपनी आत्मा को प्रभु के पास पहुंचा दिया जाए

ठिकरिया, जयपुर। बाबा उमाकान्त महाराज आश्रम, ठिकरिया, जयपुर में पूज्य बाबाजी ने बताया कि सन्तमत की साधना ही सनातन धर्म की साधना है। यही सनातन साधना है। सनातन धर्म क्यों कहते हैं? “सनक सनंदन सनकादिक सनत्कुमार” कहा गया और इन्हीं से उत्पत्ति हुई है मनुष्यों की। तो उन्होंने जो धर्म चलाया, केवल एक मानव धर्म चलाया था। यह जो अपन मानव धर्म का प्रचार कर रहे हैं, लोगों में मानवता ला रहे हैं, जीव की जो रक्षा कर रहे हैं, यही उन्होंने अपनाया था और इसका प्रचार किया था, और यही धर्म था। धर्म क्या है? “दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान। स्वामी दया न छोड़िए, जब तक घट में प्राण” जब तक शरीर में प्राण हैं, तब तक दया धर्म ना छोड़ो।

चाहे पशु, पक्षी, जमीन के नीचे के कीड़े, जमीन के जानवर हों या मनुष्य हों, सब पर दया करो

सिर्फ अपने परिवार पर ही नहीं, सब पर दया करो। यह परोपकार रूपी धर्म में आ जाएगा कि सबकी रक्षा करो। चाहे पशु, पक्षी, जमीन के नीचे के कीड़े, जमीन के जानवर हों या मनुष्य हों, सब पर दया करो। मानव हत्या तो बहुत बड़ा पाप होता है, मानव हत्या की माफ़ी तो कभी होती ही नहीं है। लेकिन आप हिंसा-हत्या के पाप से तभी बच पाओगे, पूर्ण धार्मिक तभी कहे जाओगे जब आप हर जीव पर दया करोगे। यही सनातन धर्म है। पहले के समय में लोग हिंसा-हत्या नहीं करते थे। बल्कि जीवों की रक्षा करते थे। अब भी बहुत से लोग गर्मियों में पक्षियों के पीने के लिए पानी रख देते हैं, पक्षियों को अनाज डाल देते हैं। तो यह मानव का धर्म है और यही मनुष्य शरीर के बाहरी अंगों से सेवा करने का धर्म है।

आत्मा की सेवा करना, आत्मा को बचाना यह तो बहुत बड़ा धर्म है

यह सनातन धर्म है कि अपनी आत्मा को परमात्मा तक पहुंचा दो। यह नरकों में ना जाए, नरकों में मार ना खाए; सड़ाई, गलाई, तपाई ना जाए, इसीलिए इस शरीर के रहते-रहते इसको अपने घर, अपने मालिक के पास, सतलोक पहुंचा दो। इसको मुक्ति दिला दो। और इसी काम के लिए मनुष्य शरीर मिला है। तो मनुष्य का यह धर्म है कि जीते जी अपनी आत्मा को प्रभु के पास पहुंचा दिया जाए।

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