मध्यप्रदेश

साधना के 80 महत्वपूर्ण दिनों के इस समय में साधना का माहौल बना देना है – बाबा उमाकान्त महाराज

साधना के 80 महत्वपूर्ण दिनों के इस समय में साधना का माहौल बना देना है – बाबा उमाकान्त महाराज

शिव, विनाश का तांडव करने के लिए तैयार हैं, लेकिन गुरु महाराज की ऐसी मौज नहीं है

उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने उज्जैन आश्रम पर सतसंग सुनाते हुए बताया कि ये जो 80 दिन का समय है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह मत सोचो कि साधना शिविर 80 दिनों में एक बार, दो बार कहीं लगा देंगे, कल किसी ने नहीं देखा है। और अगर एक बम कहीं पर गिर जाए तो इमरजेंसी लग जाएगी, एक जगह से दूसरी जगह आ जा नहीं सकते हो, सब नियम कानून मिलिट्री वालों के हाथ में चला जाएगा और उसमें फिर कोई जोर-सिफारिश नहीं चलेगी। ऐसा होता है कि ‘लॉ इज़ लॉ, ऑर्डर इज़ ऑर्डर’ यानि यह नियम है, कानून है, ऐसा करना ही पड़ेगा। इसलिए जो अच्छा काम है उसको पहले करना चाहिए।

जगह-जगह साधना शिविर लगाने की योजना बना लो

यहां से जाने के बाद जो आपको काम बताया गया है उसे आपको 80 दिन के अंदर पूरा करना है। साधना का माहौल बना देना है। साधक समाज बना देना है। करना भी है और कराना भी है, उसके लिए आप लोग रूपरेखा बना लो, योजना बना लो कि जगह-जगह साधना शिविर लगाएंगे। जहां ज़्यादा संगत है, जिन गांवों में ज़्यादा संगत है, वहां गांव में लग जाए। कोई जरूरी नहीं है कि कई जगह गांव में लगे, जगह देख लो जहां भी मिल जाए, जहां लोग बैठ सकें, गर्मी ठंडी का असर उनके ऊपर ना पड़े, एक जगह लगा लो। 4 – 6 या 10 दिन बाद गांव में कोई दूसरी जगह लगा लो। यह आप लोगों पर निर्भर है। लेकिन 80 दिन में कम से कम चार बार तो लग ही जाए, 5 बार लग जाए तो और भी अच्छा है। जहां बहुत कम लोग हैं वह लोग भी कम से कम 5 बार बैठें। चाहे 10-12 घंटे ही बैठें। बराबर साधना शिविर लगते रहना चाहिए। जोर जबरदस्ती नहीं, प्रेम से। यह योजना बना लो।

यदि देवता गुरु महाराज की बात नहीं मानते, तो आप शिव तांडव देखते

इस निष्कर्ष पर आप लोग पहुंचो कि साधना शिविर लगानी है और इसमें बैठकर हमें भी साधना करना है, हमको भी अन्तर में कुछ हासिल करना है। जिससे हम अपनी रक्षा कर पाएं और हम अपने अंदर इतनी पावर ले आएं कि अपनी मुट्ठी में जल, पृथ्वी, अग्नि, आकाश और वायु को रखें। शिवजी को भी अपने बस में कर लें। और अगर इतनी पावर ना आए तो भी शिवजी आपकी प्रार्थना तो सुन लें। गुरु महाराज की बात ये सब मानते हैं, जितने हैं। यदि यह देवता गुरु महाराज की बात नहीं मानते होते तो देखते आप शिव का तांडव।

अभी भी वो तांडव करने के लिए तैयार हैं। अभी भी विनाश करने के लिए तैयार हैं लेकिन क्योंकि गुरु महाराज की ऐसी मौज नहीं है, इसलिए वो जीवों पर दया कर रहे हैं।

Related Articles

Back to top button