रक्षाबंधन कार्यक्रम में बंटा रक्षासूत्र, शाकाहारी, नाशमुक्त और भजनानंदी की प्राकृतिक आपदा एवं प्राकृतिक प्रकोप से बचत करेगा – बाबा उमाकान्त महाराज

रक्षाबंधन कार्यक्रम में बंटा रक्षासूत्र, शाकाहारी, नाशमुक्त और भजनानंदी की प्राकृतिक आपदा एवं प्राकृतिक प्रकोप से बचत करेगा – बाबा उमाकान्त महाराज
जो शाकाहारी नशामुक्त, सत्संगी लोग कार्यक्रम में नहीं आ पाए, वे भाद्रपद पूर्णिमा से पहले साधना शिविर में जा कर रक्षासूत्र और प्रसाद ले लें
झुंझुनू, राजस्थान। बाबा उमाकान्त महाराज ने 9 अगस्त 2025 के सतसंग में कहा कि रक्षासूत्र को अगली रक्षाबंधन तक बांधे रहना है। रक्षासूत्र और प्रसाद से प्राकृतिक आपदा एवं प्राकृतिक प्रकोप से बचत होगी। प्राकृतिक आपदा किसको कहते हैं? जैसे बाढ़ आ गई, जो अभी बहुत आएगी, भूकंप आ गया, जैसे ऊपर से वज्रपात हो गया, चमक के साथ, गड़गड़ाहट के साथ जो एक शक्ति गिरती है, जला देती है जहाँ पर गिरती है, तो वह प्राकृतिक आपदा कहलाती है।
प्राकृतिक प्रकोप किसको कहते हैं ? जैसे बीमारी हो गई, हटने का नाम नहीं ले रही है। जंगल में आग लग गई तो बुझने का नाम नहीं ले रही है। बारिश हो रही है तो झमाझम बारिश ही हो रही है तो उसको कहते हैं प्राकृतिक प्रकोप। इसके अलावा जो कार्यक्रम में नहीं आ पाए हैं, आप साधना शिविर लगाना और जो उसमें आ जाए और शाकाहारी, नाशमुक्त, भजनानंदी हैं उनको रक्षासूत्र और प्रसाद बांट देना। यह प्रसाद और रक्षासूत्र अगली पूर्णिमा; भाद्रपद पूर्णिमा तक बँटेगा।
अभी भीषण बाढ़ आएगी नदियों में
अभी बाढ़ आएगी। बाढ़, इसी बरसात में सुनाई पड़ेगी आपको। आपके यहां भले ही न आए लेकिन आएगी। तमाम घर बह जाएंगे उसमें। भीषण बाढ़ आएगी नदियों में। दक्षिण दिशा में नदी में आ जाए, मध्य में आ जाए, राजस्थान में भी कुछ नदियां हैं, उनमें आ जाए, जल ही जल हो जाए। यह तो नहीं बताएंगे कि कहाँ आएगी लेकिन आएगी। घर गिरेंगे, लोग बहेंगे, आदमी मरेंगे, जानवर मरेंगे। क्योंकि नदी के किनारे वाले, समुद्र के किनारे वाले तो कह रहे हैं मछली खाए बगैर हमारा नहीं चलेगा।
अब उनको क्या पता कि इसमें जीव है, जीव हत्या होती है तो पाप होता है और जानते हुए भी मछली का स्वाद जब लग गया तो कहते हैं बगैर मछली के हम खाना ही नहीं खाएंगे। पाप किया तो पाप की सजा कौन भोगेगा? पाप की सजा तो भोगनी ही पड़ेगी। पाप से कोई बच नहीं सकता है। पाप का पलड़ा बहुत भारी होता है और पाप तो समुद्र में भी नहीं समाता है।