CG – पंचायतों में सरपंचों की बढ़ी चिंता आर्थिक तंगी मूलभूत और वित्त आयोग की राशि नही मिलने से बुनियादी जरूरतों के विकास पूरी तरह ठप्प, पंचायत प्रतिनिधि परेशान पढ़े पूरी ख़बर
डेस्क//भारत मे पंचायत व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायतें गांवों के विकास की जिम्मेदारी संभालती है। शासन की योजनाओं को लागू करने और गांवों तक पहुँचाने में ये पंचायतें अहम भूमिका निभाती है। लेकिन गत पंचायत चुनाव सम्पन्न होने के बाद से अभी तक जिले के ग्राम पंचायतों को मिलने वाली मूलभूत एवं वित्त आयोग की राशि नही मिलने से पंचायत स्तर पर विकास कार्य पूरी तरह ठप्प पड़ गया है तथा पंचायतों के लोग निर्वाचित सरपंच पर सवाल उठा रहे है।
गत पंचायत आम चुनाव 2025- 26 सम्पन्न होने के 9 माह बाद भी जिले के ग्राम पंचायतों को बुनियादी निराकरण एवं विकास कार्यों के लिए मिलने वाली मूलभूत एवं टाइड- अनटाइड की राशि नही मिलने से पंचायतों में मूलभूत समस्याओं का अंबार पसर गया है। निर्वाचित सरपंचों का कहना है कि यह नियम उन्हें “सिर्फ नाम का सरपंच” बना रहे है। गांवों की समस्याओं का समाधान को लेकर उनके पंचायत में फंड ही नही है। जिसके वजह से सभी कार्य रुक गए है। सड़कों की मरम्मत, नाली निर्माण, स्ट्रीट लाइट, पेयजल व्यवस्था सहित कई योजनाएं अधर में लटक गया है। ग्रामीण भी अपने मुखिया व पंचों पर सवाल खड़े कर रहे है एवं उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों को चुनने के बावजूद मूलभूत सुविधाओ के लिए वंचित होना पड़ रहा है। नाम न उजागर करने की शर्त पर निर्वाचित सरपंचों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि ग्राम पंचायतों का अपना कर राजस्व बहुत कम होता है, जबकि उन्हें केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले अनुदान पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में मूलभूत व वित्त आयोग की राशि नही मिलने के कारण ग्राम विकास की रफ्तार थम जाने से योजनाओं का लाभ आमजन तक नही पहुँच पा रहा है। जिससे आम जनता निराश और परेशान है और जब पूछते है कि गांव में बुनियादी व्यवस्थाएं दुरुस्त क्यो नही हो पा रहा तो हमारे पास कोई जवाब नही होता। निर्मित इस हालात में सभी सरपंचगण खुद को ठगा महसूस कर रहे है। ग्रामीणों की जो अपेक्षा हमसे थी, वह पूरा नही हो पा रहा है। उनका कथन है कि जब तक गांव मजबूत नही होंगे, तब तक जिला और राज्य को मजबूत नही किया जा सकता, इसलिए अविलंब मूलभूत एवं टाइड- अनटाइड की राशि जारी करने पर सरकार और प्रशासन को निर्णय लेना चाहिए, ताकि पंचायतों में ठप्प पड़े विकास कार्यों को गति मिल सके।




