वेशभूषा पर भी बहुत सी चीजें निर्भर करती हैं – बाबा उमाकान्त महाराज

वेशभूषा पर भी बहुत सी चीजें निर्भर करती हैं – बाबा उमाकान्त महाराज
साधना में देवताओं का दर्शन करने पर शुरू हुई वस्त्रों की परंपरा
उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने बताया कि वेशभूषा का भी प्रभाव पड़ता है। वेशभूषा किसे कहते हैं? पहनावा। जो बच्चियां या महिलाएं छोटे कपड़े पहनती हैं, उन्हें देखकर क्या वे लक्ष्मी जैसी प्रतीत होती हैं या सती सीता जैसी? यह तो निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। लेकिन जो साधारण और मर्यादित वस्त्र पहनती हैं, सिर ढके हुए होती हैं या पारंपरिक भारतीय वेशभूषा, जैसे धोती, धारण करती हैं, वे देखने में अधिक सभ्य और सौम्य लगती हैं, लक्ष्मी जैसी प्रतीत होती हैं, और वैसी ही की तो पूजा होती है। जब कोई पीले या लाल वस्त्र धारण करता है, तो लोग उसे धार्मिक, महात्मा या किसी विशेष आध्यात्मिक व्यक्तित्व के रूप में देखने लगते हैं; भाव लोगों का उनके प्रति अलग हो जाता है। तो वेशभूषा पर भी बहुत सी चीज निर्भर करती है।
आजकल काले रंग का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है।
साथ का भी प्रभाव पड़ता है। अब मान लीजिए, आपका काला कपड़े पहनने वाले का ही साथ हुआ, तो वह यही कहेगा कि काले कपड़े का कोई असर नहीं होता, न ही भूत-प्रेत प्रभावित करते हैं, न ही बुरी नजर लगती है, बस काला ही पहनो। आजकल काले रंग का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है, जिसे देखो वही काले कपड़े पहन रहा है।
कैसे हुई वस्त्रों की शुरुआत ?
काला, पीला, नीला और लाल कपड़ा—ये सभी देवताओं के वस्त्र माने जाते हैं। शुरू में तो वस्त्र था ही नहीं, कपड़ा बनता ही नहीं था। शुरू में तो लोग जब जन्में थे तो एक जैसे ही सब थे, उनको मालूम ही नहीं था कि वस्त्र भी कोई चीज होती है। फिर थोड़ी सी जब उन्होंने साधना की और अंतर में देवताओं को देखा कि देवता बिना वस्त्र के नहीं रहते, बल्कि विशेष रंग के वस्त्र धारण करते हैं, तो उन्होंने भी उसी तरह का वस्त्र पहनने का विचार किया। जो जिस लोक तक पहुंचा और जिस देवता का दर्शन किया, उसने वैसा ही वस्त्र धारण करने की इच्छा की। हालांकि, उस वक्त पर कपड़ा उपलब्ध नहीं था, इसलिए लोग पेड़ों की पत्तियों और छालों को शरीर पर लपेटने लगे। फिर कपड़ा जब चला, तो जैसा साधकों ने अपने अनुभवों के आधार पर लिखा कि गणेश जी लाल वस्त्र धारण करते हैं, विष्णु जी पीले वस्त्र पहनते हैं, और शनि देव काले वस्त्र धारण करते हैं, उसी आधार पर यह रंग वाले कपड़े बनते चले गए।