जितनी भी इस धरती पर अवतारी शक्तियां आईं, वे सभी शाकाहारी थे – बाबा उमाकान्त महाराज

जितनी भी इस धरती पर अवतारी शक्तियां आईं, वे सभी शाकाहारी थे – बाबा उमाकान्त महाराज
जीव हत्या, मानव हत्या और आत्महत्या न करें।
उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि जब समाज बिगड़ जाता है, घर बिगड़ जाता है, देश की व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है, तो समाज प्रेमी, देश प्रेमी और परिवार से प्रेम रखने वालों को तकलीफ होती है। वे दुखी रहते हैं। इसलिए समाज ना बिगड़े। पूज्य महाराज जी ने अपने प्रेमियों से कहा कि लोगों को समझाते रहो, बताते रहो कि शाकाहारी रहो। ना तो जीवों की हत्या करो, ना मनुष्य की हत्या करो और ना आत्महत्या करो। आत्महत्या किसे कहते हैं? बस तनिक देर के लिए टेंशन हुआ और फांसी पर लटक गए, डूबकर मर गए। आजकल तो फांसी लगाना बहुत आसान हो गया है। अब आप देखो, आजकल फांसी लगाते भी दिखा देते हैं। जो मीडिया वाले हैं, गूगल वाले हैं, इन पर कोई रोक है? कुछ नहीं। अब लोगों ने उसको देख लिया तो सीख लिया, और फिर कहते हैं—एक बार करके देखें। बस उसी में चले जाते हैं। तो आत्महत्या बहुत बड़ा पाप है। मानव हत्या बहुत बड़ा पाप है। इन कर्मों की सजा मिलती ही मिलती है, इससे कोई बच नहीं सकता। कितना भी उपाय कर लो, लेकिन यह कर्मों की सजा भोगनी ही पड़ती है। अगर कोई रास्ता बताने वाला, दया करने वाला, कर्मों को काटने वाला मिल जाए, तब तो निकल सकते हो। नहीं तो कर्मों की सजा मिलनी ही मिलनी रहती है —
“कर्म फांस छूटे नहीं कैते करो उपाय,
*सतगुरु मिले तो उबरे, नहीं तो भटका खाए”।
प्रकृति के नियमों के खिलाफ कोई काम न करें।
पूज्य बाबा ने आगे कहा कि इस मनुष्य रूपी शरीर को जितने भी जानकार आए—पीर-पैगंबर, औलिया, स्पिरिचुअल मास्टर, सन्त—सभी ने इसे मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर बताया। इसलिए इसको गंदा मत करो। यदि इसको गंदा करोगे, तो पूजा-उपासना कबूल नहीं होगी। इसलिए इसे पाक-साफ रखो। समाज को सही करने के लिए, समाज को सुख और शांति दिलाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि प्रकृति के नियमों के खिलाफ कोई काम न करें, जिससे ये देवता नाराज हो जाएं। जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश—ये पांच देवता हैं। यही सारी व्यवस्था मनुष्य के लिए बनाए रखते हैं ताकि वह स्वस्थ रहे, खाए-पीए और ठीक से जीवन व्यतीत करे। यदि ये नाराज हो जाएं, तो तकलीफ देने लग सकते हैं। इसलिए इसकी फिक्र करने और लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
सभी धर्मों और मजहबों में शाकाहार का उल्लेख किया गया है।
जितनी भी इस धरती पर अवतारी शक्तियां आईं, वे सभी शाकाहारी थे। किसी भी धर्म या मजहब की, जो भी हस्तियां ऊपर से लोगों को उपदेश देने के लिए भेजी गईं, वे सभी शाकाहारी थीं और उन्होंने शाकाहार का इस्तेमाल करने को कहा। उन्होंने समझाया कि यह तुम्हारे शरीर, दिल, दिमाग और बुद्धि के लिए सबसे उचित आहार है, इसलिए इसका ही उपयोग करो। उन्होंने यह भी बताया कि खजूर, नारियल और अनाज जैसे खाद्य पदार्थ हमने तुम्हारे लिए बनाए हैं, इनका सेवन करो। जितने भी सच्चे महात्मा और सन्त आए, वे सभी शाकाहारी थे। सभी धर्मों और मजहबों में शाकाहार का उल्लेख किया गया है—चाहे वह इस्लाम धर्म हो, ईसाई धर्म हो या अन्य कोई धर्म। समय-समय पर जितने भी महापुरुष इस संसार में आए, वे सभी शाकाहारी थे।