छत्तीसगढ़

CG – यहां सीता माता को देनी पड़ी थी परीक्षा,इस देवी के मंदिर में माता सीता की खोज में भाई लक्ष्मण के साथ आए थे श्रीराम…..

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित माँ सियादेवी नारागांव एक ऐसा स्थल है, जहाँ प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। घने जंगलों से घिरा यह स्थान प्राकृतिक जलप्रपात, धार्मिक स्थल और पर्यटन क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु माँ सियादेवी के दर्शन के लिए आते हैं और इस स्थान की अनुपम प्राकृतिक छटा का आनंद लेते हैं। छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि आसपास के राज्यों से भी पर्यटक यहाँ घूमने और आध्यात्मिक शांति का अनुभव करने के लिए पहुँचते हैं।

मंदिर का पौराणिक महत्व

प्राचीन समय से यह स्थान दंडकारण्य क्षेत्र में आता था। मान्यता है कि वनवास काल में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण देवी सीता को ढूंढते हुए आये थे। पति के प्रति निष्ठा का परीक्षण के लिए माता पार्वती ने माता सीता के रूप में भगवान राम की परीक्षा ली। लेकिन भगवान राम ने उन्हें पहचान लिया और मां के रूप में संबोधन किया। माता पार्वती को इस घटना से अपराध बोध हुआ। उन्होंने इस संबंधमें भगवान शिव को बताया और क्षमा मांगी तब शिवजी ने मां पार्वती को देवी सीता के अवतार में इसी स्थान में विराजमान होने के लिए कहा। तभी से यह स्थान देवी सीया मैया के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

माता सीता के चरण कमल के भी हैं निशान

यहां सीता माता के चरण कमल के निशान भी है। एक और मान्यता के अनुसार देवी की सवारी शेर रात में माता की रक्षा के लिए आता था। यह स्थान महर्षि वाल्मीकि के तपो भूमि के रूप में भी प्रसिद्ध है। सिया देवी मंदिर में सन 1983- 84 में ज्योति कलश प्रारंभ हुआ, ज्योति प्रकाश कुंज निरंतर चलता रहा।

माँ सियादेवी नारागांव, आध्यात्मिक और प्राकृतिक पर्यटन के लिए एक आदर्श स्थल बन चुका है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु माँ सियादेवी का आशीर्वाद लेने के साथ ही इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता का भरपूर आनंद उठाते हैं। वर्षभर यहाँ पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है, लेकिन नवरात्रि के समय यह स्थान विशेष रूप से भक्तिमय वातावरण से भर जाता है, जब हजारों श्रद्धालु यहाँ माता के दर्शन के लिए आते हैं।

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