छत्तीसगढ़

CG – हिड़मा का खौफ हुआ खत्म, आजादी के बाद पहली बार खूंखार नक्सली नेता हिड़मा के गांव पूवर्ती में हुई वोटिंग…..

सुकमा। छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण का मतदान शनिवार को सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड में शांतिपूर्ण तरीके संपन्न हुआ। इस दौरान नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के पूवर्ती गांव में ऐतिहासिक मतदान देखा गया। यह गांव जो खूंखार नक्सली नेता हिड़मा का पैतृक स्थान है आजादी के बाद पहली बार चुनाव में भाग ले रहा है। इस चुनाव के दौरान ग्रामीणों में भारी उत्साह और आशा का माहौल देखा गया, क्योंकि वे अब पहली बार अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करने में सक्षम हो सके हैं।

सुकमा जिले का यह इलाका वर्षों से नक्सलवाद से प्रभावित रहा है, और यहां के निवासी कई बार नक्सलियों के आतंक के कारण चुनावों से दूर रहे हैं। लेकिन अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में पुलिस और प्रशासन ने लगातार प्रयासों से इलाके की स्थिति को बदलने में सफलता प्राप्त की है। पिछले कुछ वर्षों में, यहां सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयासों ने नक्सलियों के प्रभाव को कम किया है, जिससे ग्रामीणों में अब बदलाव की लहर महसूस हो रही है।

पहली बार पूवर्ती गांव में चुनाव

पूवर्ती गांव में यह चुनाव ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि यह गांव अब तक किसी भी चुनाव का हिस्सा नहीं रहा था। हिड़मा जैसे कुख्यात नक्सली नेता के घर होने के बावजूद, इस गांव के लोग आजादी के बाद पहली बार अपने वोट का अधिकार इस्तेमाल कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा के विशेष प्रयासों से इस बार मतदान में भाग लेने के लिए गांववासियों का उत्साह देखा जा सकता था, जो पहले किसी भी प्रकार के चुनावों से दूर रहे थे।

नक्सलवाद से जूझते हुए ग्रामीणों ने जताया उत्साह

पूवर्ती गांव के ग्रामीणों ने इस चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जो न केवल उनके लोकतांत्रिक अधिकार की विजय है, बल्कि यह नक्सलवाद के खिलाफ उनके संघर्ष की भी प्रतीक है। गांववासियों का कहना था कि यह उनका पहला मौका है जब वे अपनी आवाज उठा सकते हैं और अपने भविष्य के लिए एक ठोस कदम उठा सकते हैं। चुनाव में मतदान का उत्साह यह साबित करता है कि अब इन इलाकों में नक्सलवाद का असर कम हो चुका है और लोग अपने भविष्य के लिए संजीदगी से मतदान कर रहे हैं।

सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की भूमिका

पूवर्ती गांव और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तगड़ी व्यवस्था की गई थी। नक्सलियों से खतरे के बावजूद, पुलिस और सुरक्षाबलों ने यह सुनिश्चित किया कि चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो। प्रशासन और सुरक्षाबलों के समन्वय से यह सुनिश्चित किया गया कि किसी प्रकार की हिंसा या उपद्रव की स्थिति उत्पन्न न हो।

नक्सलवाद से मिला छुटकारा, अब विकास चाहिए

पुलिस और प्रशासन के अथक प्रयासों के बाद पूवर्ती को नक्सलवाद से मुक्त करा लिया गया है। गांव में सोलर लाइन और नल जन योजना के तहत काम काफी तेजी से चल रहा है। मतदान करने आए युवा जोगा मड़कामी, डोड्डी लालु, संतोष बोडके और बड़दरस बोड़के ने बताया कि पुलिस और प्रशासन की मदद से गांव नक्सलवाद से मुक्त हो गया है, लेकिन सालों से लोग यहां बुनियादी ढांचे का इंतजार कर रहे हैं। उसने बताया कि गांव में मतदान केंद्र खुलने से हम लोग बहुत खुश हैं। हम लोग अपने गांव में ही भयमुक्त माहौल में मतदान कर रहे हैं।

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