CG – बजट में टूरिस्ट और धार्मिंक डेस्टिनेशन पर खास फोकस : छत्तीसगढ़ का डोंगरगढ़ और चंपारण बनेगा देश का नया टूरिस्ट और धार्मिंक डेस्टिनेशन, डोंगरगढ़ में बनेंगे लग्जरी रिसोर्ट…..
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रायपुर। छत्तीसगढ़ का डोंगरगढ़ और महाप्रभु बल्लभाचार्य की जन्मस्थली चंपारण देश के नया धार्मिक और टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने के लिए छत्तीसगढ सरकार ने कदम बढा दिया है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने आज अपने बजट में इस पर खासतौर से फोकस किया। उन्होंने डोंगरगढ़ परिक्रमा बनाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि चंपारण को भी खासतौर से विकसित किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में स्थित पहाड़ी पर सजा है मां बम्लेश्वरी का आस्था का दरबार। इसी से लगी चंद्रगिरी की पहाड़ी में है जैन समाज के सबसे बड़े आचार्य विद्यासागर महाराज की समाधि।
इसी डोंगरगढ़ में है बौद्ध तीर्थ का केंद्र प्रज्ञागिरि पर्वत। सभी धर्म और समुदाय के लोगों की आस्था का केंद्र है डोंगरगढ़, लिहाजा छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे नए सिरे से संवारने और नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने का फैसला किया है। इसके लिए बजट में सरकार ने खजाना खोल दिया है।
यहां सरकार के अलावा निजी क्षेत्रों की मदद से सुविधाएं विकसित की जाएंगी और होटल, मॉटल, रेस्टोरेंट और रिसॉर्ट बनाए जाएंगे।
डोंगरगढ़ आस्था, तप, साधना की ऐसी स्थली बन गई है, जिसने भारत को विश्व में पहचान दिलाई है। डोंगरगढ़ में प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी का मंदिर है, प्रज्ञागिरि और चंद्रगिरी जैसे धार्मिक स्थल और विद्यासागर महाराज जी की समाधि के बाद यह क्षेत्र अब महातीर्थ बन चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई बड़े नेता यहां पहुंच चुके हैं। जैन संत आचार्य विद्यासागर के जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण राष्ट्र को समर्पित रहा।
पिछले साल 18 फरवरी 2024 को आचार्य विद्यासागर महाराज ने डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ में समाधि ली थी। पिछले दिनों यहां देश के गृहमंत्री अमित शाह आए थे। इससे पहले डोंगरगढ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंच चुके हैं।
मां बम्लेश्वरी मंदिर है आस्था का केंद्र
राजनांदगांव जिले में नागपुर से बिलासुपर के बीच पर्वत श्रृंखला में फैले पर्वत के मध्य सर्वोच्च शिखर पर मां बम्लेश्वरी देवी का विशाल मंदिर स्थित है। डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित शक्तिरूपा मां बम्लेश्वरी देवी का विख्यात मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर 1610 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। देश के विभिन्न राज्यों एवं विदेशों से भी भक्त पर्वत पर बने लगभग 1000 सीढिय़ों की कठिन चढ़ाई कर माता के दर्शन के लिए आते हैं। डोंगर का अर्थ पहाड़ और गढ़ का अर्थ दुर्ग होता है, अर्थात डोंगरगढ़ का अर्थ पहाड़ पर स्थित दुर्ग है। डोंगरगढ़ को प्राचीन काल में कामाख्या नगरी, कामावती नगर एवं डुंगराज्य नगर के नाम से जाना जाता था।
प्राचीन काल से ही डोंगरगढ़ दर्शनार्थियों की आध्यात्मिक धार्मिक भावनाओं का केन्द्र है। मां बम्लेश्वरी को बमलाई दाई या दाई बमलाई, मां बगलामुखी के नाम से भी जाना जाता है। डोंगरगढ़ पर्वत श्रृंखला की नैसर्गिक सुंदरता मनमोहक है। मंदिर के चारों ओर हरे भरे वनों पहाडिय़ों, छोटे-बड़े तालाबों से घिरा हुआ है। पहाड़ी के नीचे कामकंदला तालाब है। मां बम्लेश्वरी के मंदिर में प्रति वर्ष चैत्र नवरात्र एवं क्वांर नवरात्र के समय दो बार भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें लाखों की संख्या में भक्त एवं दर्शनार्थी पैदल एवं अन्य माध्यमों से पहुंचते हैं। मां बम्लेश्वरी मंदिर पर जाने के लिए सीढिय़ों के अलावा रोपवे की सुविधा भी है।
प्रसाद योजना के तहत हो रहा विकास
भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की प्रसाद योजना के तहत मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर एवं डोंगरगढ़ विकास के लिए लगभग 48 करोड़ 43 लाख 83 हजार रूपए की लागत से डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर एवं डोंगरगढ़ को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जा रहा है।
देश-विदेश से यहां आने वाले दर्शनार्थियों एवं श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। जिसके दृष्टिगत यहां प्रसाद योजना के तहत पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं को देखते हुए अधोसंरचना का निर्माण किया जा रहा है। इस योजना अंतर्गत मां बम्लेश्वरी मंदिर पहाड़ी एवं इसके आस पास पर्यटन सुविधाएं एवं सौदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है।
प्रज्ञागिरि पहाड़ी पर पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही है। मां बम्लेश्वरी मंदिर विकास के लिए लगभग 7 करोड़ 28 लाख 84 हजार रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई है।
सीढिय़ों का जीर्णोद्धार, शेड, सीढिय़ों पर रेलिंग, पेयजल सुविधा, पगोड़ा, मेडिकल रूम, दुकाने, सोलर प्रकाशिकरण, पार्किंग, विश्राम कक्ष, सीसीटीवी सर्विलांस, तालाब के आसपास का विकास, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट, बायो टायलेट एवं सुविधाएं विकसित की जा रही है।
बौद्ध तीर्थ है प्रज्ञागिरि पर्वत
डोंगरगढ़ स्थित प्रज्ञागिरि पर्वत जो बौद्ध पर्यटन स्थल एवं बौद्ध तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है। प्रज्ञागिरी विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से पहले ही 5 करोड़ 54 लाख 59 हजार रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस पर्वत में तथागत भगवान गौतम बुद्ध की ध्यानस्थ मुद्रा में प्रतिमा स्थापित है।
मेडिटेशन सेंटर, कैफेटेरिया, पार्किंग, वाटर टैंक, गार्डरूम, पेयजल एवं बोरवेल, सीढिय़ों का जीर्णोद्धार, रेलिंग, साइनेजेस, सोलर प्रकाशीकरण, सेनिटेशन फिटिंग, इलेक्ट्रिकल, एसी, सीसीटीवी, फायर फाईटिंग सिस्टम रहेगा। पिल्ग्रिम फेसिलिटेशन सेंटर 33 करोड़ 29 लाख 74 हजार रूपए की लागत से विकसित किया जा रहा है। श्रीयंत्र भवन, प्रवेशद्वार, बाउण्ड्रीवाल, ड्रेन, सीसी रोड, अंडर ग्राउण्ड वाटर टैंक, पार्किंग एवं ड्रायवर कक्ष, लैडस्केपिंग, सोलर प्रकाशीकरण, साइनेजेस, इलेक्ट्रिकल, फायर फाइटिंग, पेयजल जैसी सुविधाएं रहेंगी।
बन रहा है पिल्ग्रिम फेसिलिटेशन सेंटर
श्रद्धालुओं के लिए 9.5 एकड़ में डोंगरगढ़ की तीन पहाडिय़ों के बीच एवं एक श्रीयंत्र के आकार में पिल्ग्रिम फेसिलिटेशन सेंटर या पर्यटक सुविधा केन्द्र का निर्माण किया जा रहा है। जिसका आकार श्रीयंत्र के जैसा है। इसमें ध्यान केन्द्र, विश्राम कक्ष, पेयजल, प्रसाद कक्ष, सांस्कृतिक मंच, क्लॉक रूम, सत्संग कक्ष, प्रदर्शनी गैलरी, शौचालय, लैंड स्कैपिंग, सोलर प्रकाशीकरण एवं पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। अब तक लगभग 95 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने की ओर अग्रसर है तथा कार्य अंतिम चरण में है।
मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर में बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुये, मंदिर कमेटी ने नगर के जन-जन को मंदिर कमेटी से जोडऩे के लिए सन् 1976 में सार्वजनिक ट्रस्ट का स्वरूप प्रदान किया।
मंदिर ट्रस्ट समिति द्वारा लगातार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को अदा करते हुये मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर के चहुंमुखी विकास एवं दर्शनार्थियों की सुविधा हेतु सतत प्रयास किया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप यहां प्रतिदिन एवं चैत्र व क्वांर नवरात्र पर्व के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों का तांता माँ का आर्शीवाद पाने के लिए लगा रहता है। अनेक भक्तजनों द्वारा सार्वजनिक व व्यक्तिगत रूप से माँ बम्लेश्वरी देवी के नियमित दर्शन पूजन हेतु विभिन्न प्रदेशों व घरों, नगरों में माँ बम्लेश्वरी देवी माता का मंदिर स्थापित किया है, जो मां बम्लेश्वरी देवी के प्रति नागरिकों की अगाध श्रद्धा, भक्ति व विश्वास का प्रतीक है।
पहाड़ी के नीचे भी है भव्य मंदिर
मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति डोंगरगढ़ द्वारा नीचे मंदिर का भव्य निर्माण कराया गया है। मंदिर का भव्य निर्माण नई दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के तर्ज पर गुजरात, राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा कराया गया है।
मंदिर में कुल 8 प्रवेश द्वार, 14 फीट 7 इंच की ऊंचाई के 44 पीलर, मंदिर की शिखर सहित कुल ऊंचाई 95 फीट 3 इंच, चौड़ाई 70 फीट एवं लम्बाई 208 फीट है। मंदिर के गर्भ गृह 15 फीट 9 इंच लम्बाई व 15 फीट 9 इंच चौड़ाई है। मंदिर के रंग मंडप लम्बाई 41 फीट एवं चौड़ाई 41 फीट है।
मंदिर का बाहरी भाग बंशीपहाड़पुर राजस्थान के पत्थरों से एवं मंदिर के भीतरी हिस्से व गर्भ गृह में अम्बाजी के मार्बल से सजाया गया है। समिति द्वारा छिरपानी धर्मशाला, ऊपर मंदिर धर्मशाला, नीचे मंदिर धर्मशाला के अलावा नगर में अनेक धर्मशालाएं, लॉज, होटल की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा ट्रस्ट द्वारा भोजनालय व रेस्टोरेंट सेवा ऊपर पहाड़ी मंदिर एवं छिरपानी परिसर में उपलब्ध है।
इस टूरिस्ट सर्किट में राजधानी रायपुर और राजिम से लगा चंपारण भी जुड़ेगा। चंपारण महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली होने की वजह से भी काफी लोकप्रिय है। ऐसी शांत और सुकून वाली जगहों पर हर घूमने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है। महाप्रभु वल्लभाचार्य ने पूरे भारत की पैदल यात्रा की। वो जहाँ पर भी रुके, वहाँ पर बैठक बनाई गई।
चंपारण में भी दो बैठकें हैं। चंपारण का महाप्रभुजी प्राकट्य बैठक जी मंदिर बेहद खूबसूरत है। इस मंदिर को देखकर लगेगा कि आप किसी महल में आ गये हों। इस परिसर में मां यमुना जी का मंदिर, राम दरबार और गौशाला देखने को मिलती है। खेत खलिहान और प्राकतिक संपदा से भरपूर चंपारण में देखने लायक काफी कुछ है।
पहले छत्तीसगढ़ के चंपारण को चंपाझार के नाम से भी जाना जाता है। चंपाझार का अर्थ है, चंपा के फूलों का शहर। चंपारण छत्तीसगढ़ का एक छोटा सा गांव है। चंपारण राजधानी रायपुर से 60 किलोमीटर और राजिम से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर है। चंपारण का चंपेश्वरनाथ महादेव मंदिर छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। वल्लभाचार्य की बैठक के पास में बना चंपेश्वरनाथ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में शिवलिंग विराजमान है। इस शिवलिंग को त्रिमूर्ति शिवलिंग के नाम से जाना जाता है।
शिवलिंग में आपको तीन स्वरूप देखने को मिलेंगे। ऊपरी भाग भगवान गणेश, मध्य भाग भगवान शंकर और और निचला भाग पार्वती जी का है। चंपारण से 5 किलोमीटर दूर सेमरा गांव में महानदी के किनारे हनुमान जा का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति है। इसके अलावा भगवान शिव की भी मूर्ति भी रखी हुई है। चंपारण से वीर हनुमान टीला लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
महानदी के किनारे इस जगह पर हनुमान जी की 185 फुट ऊंची मूर्ति है। यहाँ पर एक छोटा सा डैम बना हुआ है। इस बांध को टीला बांध के नाम से भी जाना जाता है। महानदी का दृश्य बहुत सुंदर होता है। यहाँ पर एक गॉर्डन भी है। जहाँ आप अपने परिवार के साथ पिकनिक मना सकते हैं।
ऐसे पहुंचें डोंगरगढ़ और चंपारण
डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले का एक शहर और नगर पालिका है, जो मां बम्लेश्वरी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। डोंगरगढ़ को धर्मनगरी के नाम से भी जाना जाता है। डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
डोंगरगढ़ राजधानी रायपुर से 106 किलोमीटर एवं जिला मुख्यालय राजनांदगांव से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग के अंतर्गत आता है। हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर डोंगरगढ़ रेलवे जंक्शन है। डोंगरगढ़ नगर मुम्बई-कोलकाता के मध्य रेल्वे लाईन एवं हवाई अड्डा पर महाराष्ट्र की उप राजधानी नागपुर से 200 किलोमीटर दूर एवं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रेल्वे लाईन एवं हवाई अड्डे से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
डोंगरगढ़ पहुंचने का सुगम माध्यम रेल्वे मार्ग है
कलकत्ता- मुम्बई नेशनल हाईवे मार्ग क्रमांक 6 पर स्थित पश्चिम दिशा की ओर से ग्राम चिचोला से 17 किलोमीटर एवं पूर्व दिशा की ओर ग्राम तुमड़ीबोड़ से 22 किलोमीटर की दूरी पर डोंगरगढ़ नगर स्थित है।
आने वाले समय में सरकार यहां हवाई सेवा भी शुरू करना चाहती है, जिसके बाद नागपुर और रायपुर से कनेक्टिविटी और भी बढ़ जाएगी। फिर सिर्फ एक घंटे के भीतर नागपुर और रायपुर से डोंगरगढ़ पहुंचा जा सकता है।
इसी तरह चंपारण पहुंचने के लिए भी लोगों को रायपुर तक आने के बाद 60 किलोमीटर की सड़क मार्ग की दूरी तय करनी होगी।