वक्त गुरु परम पूज्य परम संत बाबा उमाकान्त महाराज द्वारा भरतपुर में जीते जी देवी-देवताओं के दर्शन का रास्ता - नामदान की अमृत वर्षा
सभी प्रकार की सुख सुविधाएं होने के बावजूद लोगों के दुखी रहने का कारण है, मौत और भगवान को भूलना - संत बाबा उमाकान्त महाराज
भरतपुर : विश्व विख्यात निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, देश समाज पारिवारिक व व्यक्तिगत स्तर पर हर तरह की समस्याओं तकलीफों व बीमारियों में आराम मिलने का उपाय बताने वाले, आत्मा के कल्याण, जीते जी मुक्ति मोक्ष प्राप्त करने और देवी-देवताओं के दर्शन का दुर्लभ रास्ता नामदान देने वाले इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने भरतपुर में दिए सत्संग संदेश में बताया कि इस मनुष्य शरीर में रहते हुए ही , नामदान का सीधा, सच्चा और सरल रास्ता अपनाकर जीते जी अपना तीसरा नेत्र जिसे दिव्य दृष्टि कहते हैं, खोलकर ऊपरी लोकों में बैठे देवी देवताओं के दर्शन किए जा सकते हैं। मनुष्य के जाने अनजाने में बने बुरे कर्मों से जो पर्दा तीसरे नेत्र पर पड़ता है, उससे प्रभु के दर्शन में बाधा आती है।
गुरु की जरूरत हमेशा रही
भगवान राम और कृष्ण, जो अपने समय में अवतार लिए , सभी को गुरु की जरूरत पड़ी। गुरु सभी अवतारों ने किए बिना गुरु के किसी भी काम में सफलता मिलना असंभव है। विद्या गुरु और आध्यात्मिक गुरु अलग अलग होते हैं। आध्यात्मिक गुरु के बगैर उस प्रभु का दर्शन नहीं हो सकता।
इस कलयुग में आटा और डाल का मिलना मुश्किल है लेकिन उस भगवान का मिलना आसान है
समय दीन प्रतिदिन खराब आता जा रहा है। जिसे लोग धन कहते थे, आज के समय वो सब ऐशो आराम के कामों में खर्च करने लगे, उसी को भगवान मानने लग गए। महात्माओं ने बताया कि छोटा बनने पर , दीन भाव आ जाने पर वो मालिक दुखियों की पुकार को सुनता है।
वक्त के नाम से पुकारने पर भगवान मिलेंगे
मनुष्य के जिन अंगों से बुरे कर्म बन जाते हैं, उनसे पूजा - पाठ करने पर वो ईश्वर प्रार्थना स्वीकार नहीं करता है। जब समय का नाम , वक्त के मौजूदा संत सतगुरु द्वारा मिल जाता है, तो उनके बताए हुए सुमिरन, ध्यान, और भजन की रगड़ पड़ने पर ये कर्म साफ होते हैं, और उस परमात्मा का दर्शन दीदार होता है।
आज कल के बच्चों की कोई गारंटी नहीं है, की कब बुरी संगत के प्रभाव में आकर , होटलों से मांस मछली और अंडा खा आएं
अज्ञानता में ही , ये बच्चे, बुरी प्रेरणा से ही खानपान खराब कर लेते हैं , जैसे किसी ने कह दिया कि मांस नहीं खाओगे तो सेना में भर्ती कैसे होगी ? युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ना , समाज के लिए बहुत खतरनाक है।