बिग ब्रेकिंग/छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ में गार्ड ऑफ ऑनर की औपनिवेशिक परंपरा समाप्त उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल से ऐतिहासिक प्रशासनिक सुधार सामान्य दौरों में मंत्रियों व पुलिस अधिकारियों को नहीं मिलेगी सलामी।

कवर्धा/छत्तीसगढ़ राज्य में मंत्रीगणों एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को सामान्य दौरे, निरीक्षण व भ्रमण के दौरान दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी गारद) की औपनिवेशिक परंपरा को समाप्त कर दिया गया है। गृह विभाग द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है, जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा की विशेष पहल पर गृह विभाग ने गार्ड ऑफ ऑनर की वर्तमान व्यवस्था की गहन समीक्षा के उपरांत नियमों में संशोधन किया है। इस निर्णय का उद्देश्य पुलिस बल को अनावश्यक औपचारिकताओं से मुक्त कर कानून-व्यवस्था, सुरक्षा और जनसेवा के मूल दायित्वों में अधिक प्रभावी ढंग से तैनात करना है।
गौरतलब है कि गृहमंत्री विजय शर्मा ने स्वयं अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि औपनिवेशिक सोच से जुड़ी परंपराओं की समीक्षा कर वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप आवश्यक बदलाव किए जाएं। इसके परिपालन में गृह विभाग ने यह अहम निर्णय लिया है।
सामान्य दौरों में सलामी गारद समाप्त
जारी आदेश के अनुसार अब राज्य के भीतर सामान्य आगमन-प्रस्थान, निरीक्षण एवं जिला भ्रमण के दौरान गृहमंत्री,समस्त मंत्रीगण, पुलिस महानिदेशक सहित अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सलामी गारद नहीं दी जाएगी। पूर्व में प्रचलित यह व्यवस्था अब पूर्णतः समाप्त कर दी गई है।
राष्ट्रीय व राजकीय आयोजनों में व्यवस्था यथावत
यह निर्णय राष्ट्रीय एवं राजकीय समारोहों पर लागू नहीं होगा।
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), शहीद पुलिस स्मृति दिवस (21 अक्टूबर), राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर), राजकीय समारोहों एवं पुलिस दीक्षांत परेड जैसे अवसरों पर गार्ड ऑफ ऑनर की व्यवस्था पूर्ववत बनी रहेगी।
संवैधानिक पदों के लिए प्रोटोकॉल जारी
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि संवैधानिक पदों पर आसीन महानुभावों एवं विशिष्ट अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल के तहत सलामी गारद की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।



