माता ब्रह्मचारिणी (भाग २)
डॉ सुमित्रा अग्रवाल (कोलकाता)
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री
यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
कोलकाता : माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है, और उनका स्वरूप तप, भक्ति, और संयम का प्रतीक है। उनकी पूजा में विशेष रूप से सात्विक और साधारण चीजें अर्पित की जाती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी को अर्पित किए जाने वाले पुष्प, भोग और प्रसाद का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये चीजें उनकी तपस्या और सादगी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी को क्या अर्पित करें :
सफेद फूल :
माँ ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग के फूल विशेष प्रिय होते हैं, जैसे कि सफेद कमल, चमेली या बेली के फूल। सफेद फूल उनकी पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं।
संध्या दीपक :
पूजा के समय माँ ब्रह्मचारिणी के सामने घी का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है। दीपक जलाने से मन में सकारात्मकता और शांति का संचार होता है।
पवित्र जल और दूध :
पूजा के दौरान माँ ब्रह्मचारिणी को गंगाजल या अन्य पवित्र जल से स्नान कराएं। इसके साथ ही, उन्हें दूध भी अर्पित किया जा सकता है, जो शुद्धता का प्रतीक है।
अक्षत (चावल) :
माँ ब्रह्मचारिणी को अक्षत (साबुत चावल) अर्पित करें, जो संपूर्णता और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। यह पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा होता है।
सुगंधित धूप और अगरबत्ती :
माँ को धूप और अगरबत्ती अर्पित करें, जिससे वातावरण पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।
पान-सुपारी :
पूजा में पान, सुपारी, लौंग, इलायची आदि का भी अर्पण किया जा सकता है। यह पूजा में भक्ति और आदर का प्रतीक होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी को क्या प्रसाद चढ़ाएं :
चीनी, गुड़, और मिश्री :
माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी, गुड़, या मिश्री का भोग अर्पित करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। ये चीजें मिठास का प्रतीक हैं, जो माँ की कृपा और सुख का प्रतिनिधित्व करती हैं। विशेष रूप से, मिश्री का भोग अर्पित करने से भक्तों को समृद्धि और शांतिपूर्ण जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
हलवा :
माँ ब्रह्मचारिणी को हलवा का प्रसाद चढ़ाना भी शुभ माना जाता है। इसे शुद्ध घी से बनाया जाता है, जो सात्विक भोजन का प्रतीक है।
पंचामृत :
माँ को पंचामृत का प्रसाद चढ़ाया जाता है। पंचामृत में दूध, दही, शहद, घी और मिश्री मिलाई जाती है। यह देवी को प्रसन्न करने और शुभता का प्रतीक है।
फलों का भोग :
माँ ब्रह्मचारिणी को फलों का भोग भी चढ़ाया जाता है, जैसे सेब, केले, या नारियल। फलों का भोग शुद्धता और प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक होता है।