बिलासपुर//पूरे प्रदेश भर में समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी धड़ल्ले से चल रही है राज्य सरकार ने इस बार धान खरीदी केद्रो में किसी प्रकार की समस्या किसानों को ना हो इसके लिए धान खरीदी केद्रो में अध्यक्षों की भी नियुक्ति की है इसके अलावा धान खरीदी केंद्रों में सीसीटीवी कैमरा से निगरानी भी की जा रही है ताकि धान खरीदी केंद्रों में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर टीवी के साक्ष के आधार पर कार्रवाई की जाए पर सहकारिता विभाग में सभी के जुबान पर एक सवाल आ रही है कि जिन धान खरीदी केंद्रों के प्रभारी पर शॉर्टेज लाने दाग था उन प्रभारीयों को फिर से धान खरीदी केंद्र की जिम्मेदारी दि गई है देखना यह भी होगा कि सहकारिता विभाग में बैठ बड़े अधिकारियों ने दोबारा जिन पर भरोसा जताया है वो इन पर खरा साबित होता है या इस बार फिर से लंबी गोल मोल देखने को मिलेगा बात करें ओखर धान खरीदी केंद्र की तो यहां लंबे समय से विवाद चल रहा है धान खरीदी केंद्र ओखर में इससे पहले अजय साहू प्रभारी हुआ करते थे पर यहां से उनको हटाया गया और धनशाय केंवट को यहां की जिम्मेदारी दी गई सवाल ये हैँ कि जिस कारण अजय साहू के जाने के बाद ओखर धान खरीदी केंद्र सुधर गया या और बिगड़ गया विवाद ख़त्म हुआ या विवाद बढ़ गया हालांकि धनशाय पर भी लगातार कई आरोप लगते रहे हैं बड़ी समस्या पिछले साल हो गई थी जब यहां तकरीबन 40 लाख के ऊपर शॉर्टेज देखने को मिला था बात करें उनके बेटे की तो वह भी अब फड में खरीदी करते नजर आ रहे हैं वह भी खरीदी केंद्र में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं पर हमारे देश में एक विवाद जो जमकर चल रहा है वह है परिवारवाद सार्वजनिक मंच से देश के प्रधान मंत्री कई बार कह चुके हैं कि परिवारवाद देश को गहरी खाई की ओर ले जा रही है पर यह भी सच्चाई है कि हमारे देश में परिवारवाद सर चढ़कर बोल रहा है जहां पिता वहां पुत्र की नियुक्ति हो जाती है जिस पर इन विभागों के अधिकारियों को जरूर सोचना होगा
तलपट और उसके लाभ हानी
मस्तूरी क्षेत्र में लगभग सभी धान खरीदी केंद्रों में तलपट ब्यवस्था से ही धान लिया जा रहा हैँ जहाँ किसान खुद घर से धान तौल कर ला रहें हैँ जिसका वजन 41 किलो प्लस रहता हैँ दो चार बोरे को तौल कर देखा जा रहा हैँ फिर छल्ली मार दिया जा रहा हैँ पर सवाल ये हैँ की सरकार जो तौल में लगे लोगो को पेमेंट कर रही हैँ उनकी अब जरुरत कम हो गई हैँ तो क्या भविष्य में इनके बिना भी धान खरीदी होंगी इसके अलावा जो करोड़ों रुपए इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीन में खर्च किया गया वो भी बहुत कम ही उपयोग में लाया जा रहा हैँ तो क्या ये वेस्ट हो गया ?