सनातनी धर्म के लोगों का पतन इसलिए हुआ क्योंकि वे दूसरे धर्म के लोगों के प्रति अधिक दया, प्रेम, स्नेह और मानवता दिखाने लगे। यही सनातनी हिन्दू धर्म के लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी है।

NBL, 03/11/2024, Lokeshwar verma Raipur CG: The people of Sanatani Dharma fell because they started showing more compassion, love, affection and humanity towards people of other religions. This is the biggest weakness of the people of Sanatani Hindu Dharma. पढ़े विस्तार से...

दुनिया के सबसे बड़े धर्म थे सनातनी धर्म, यह इतने पुराने है कि इनके पहले दुनिया के अन्य धर्मो का नामो निशान नही थे, जबकि दुनिया के जीतने भी मानव थे सबके सब कबिलाई थे घुमंतू प्राणी थे, लेकिन भारत एक ऐसा देश है, जहाँ देवी देवताओं की प्रमाणित प्रमाण है करोड़ो वर्षों से, यही भारतीय सनातनी धर्म में चार युगो की बात की जाती हैं, सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, अभी चल रहा है कलयुग। लेकिन दूसरे अन्य धर्मों के इतिहास में या उनके धार्मिक ग्रंथों में इस प्रकार से कोई उल्लेख नहीं मिलता, बस उन्हें अपने मालिक बनाकर लीला रचकर उन्हें अपने इष्ट बनाकर एक नए धर्म का निर्माण किया, यह एक अक्लमंद व्यक्ति का सोची समझी प्लानिंग के तहत बनाए गए धर्म है, जो ऐसा बनाया इस नये धर्म को जो ज्यादातर सनातनी धर्म के विरुद्ध है तो आप जान लो सनातनी धर्म कितना पुरानी धर्म है। 

जैसे आज उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक शब्द कहाँ कटेंगे तो बटेंगे अब इन्ही को विपक्ष में बैठे समाजवादी पार्टी के सुप्रीम लीडर अखिलेश यादव की पार्टी नेताओं ने एक शब्द नारे के रूप में प्रस्तुत कर बेनर पोस्टर के माध्यम से न बंटेंगे, न कटेंगे, पीडीए के संग रहेंगे, सत्ताइस में अखिलेश यादव सत्ता धीश रहेंगे, अब इन्ही दो शब्दों को आप अपने दिमाग से सोचकर अंतर देख सकते जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ हम बटेंगे तो कटेंगेयह केवल सनातनी धर्म के लोगों की रक्षा के लिए कहाँ वह भी बांग्लादेश में हिंदुओ के खराब स्थिति को देखते हुए कहाँ बटेंगे तो कटेंगे एक रहेंगे नेक रहेंगे। 

 

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क्योंकि हम भारतीय सनातनीयो को भी बाँटने वालों की कमी नही है और इसका रिएक्सन विपक्षी दलों के नेताओं के उपर गहरी घाँव बन गया और अपने निजी स्वार्थ हित के लिए न बंटेंगे, न कटेंगे, पीडीए के संग रहेंगे, सत्ताइस में अखिलेश यादव सत्ता धीश रहेंगे एक तरफ सनातनी हिंदू धर्म की रक्षा की बात कर रहे है सीएम योगी आदित्यनाथ और दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी मुखिया अपने आप के निजी स्वार्थ सत्ता सुख की बात कर रहे हैं। बस ऐसा ही सदियों से सनातनी धर्म को तोड़ते गया और निजी स्वार्थ को पूरी करने के लिए नए धर्म बनाते गए, जो नए धर्म कट्टर वादी कहलाते है, जबकि सनातनी धर्म सर्व मानव समाज के लिए मानवतावादी धर्म है, जिनके अंदर, दया, ममता, क्षमा कूट कूट कर भरे हुए, यही तो स्वार्थ से भरे हुए धर्म को पसन्द नहीं है सनातनी धर्म के अच्छे आचार विचार।

आज भारत में अधिकांश मंदिरों की मूर्तियां क्यों खंडित हैं? क्योंकि इन्हें तोड़ने वालों के धर्म में सनातन धर्म के प्रति कोई सम्मान नहीं है और उनका अविकसित दिमाग केवल यही सोचता रहता था कि कैसे सनातन धर्म संस्कृति को दुनिया से मिटाया जाए। क्योंकि उन्हें अपने नए धर्म का विस्तार करना था और उन्होंने धन, बल और क्रूरता के बल पर बहुत तेज गति से लोगों को सनातन धर्म छोड़ने पर मजबूर किया और जो लोग आसानी से चले गए, उन्हें उन्होंने प्राण दान धन दान देकर अपने धर्म का अनुयायी बनाकर उनकी रक्षा की। इस तरह एक-दो पीढ़ियां गुजर गईं और जिन्होंने नए धर्म को पूरी तरह से अपना लिया वे सनातन धर्म के कट्टर विरोधी बन गए और अपने मूल धर्म, सनातन धर्म संस्कृति को मिटाने लगे। फिर सनातन धर्म का पतन होने लगा। फिर भी वे सनातन धर्म को पूरी तरह से नही मिटा पाए। यह सनातन धर्म की अपनी ताकत है जिसने आज भी खुद को सुरक्षित रखा है अटल है। यह सनातन धर्म एक प्राचीन धर्म है और इसकी रक्षा करना प्रत्येक सनातनी हिंदूओ का दायित्व बनती है।

आज भारत राजनीति के बल पर चलता है और यहाँ सभी धर्मों की रक्षा के लिए संविधान कानून है इसीलिए हर धर्म के लोग संविधान का उदाहरण देते हैं लेकिन उदाहरण देने वाले लोगों का भी एक धर्म होता है वो उस धर्म को मानते हैं और उस धर्म के रास्ते पर चलते हैं लेकिन इसी संविधान के बल पर वो दूसरे धर्मों को अपनी ताकत दिखाते हैं और उस धर्म को कमजोर करने के लिए संविधान की बात करते हैं और बच निकलते हैं यहाँ आपके धर्म का न्याय नहीं चलेगा आज देश संविधान के कानून से चलता है। 

आप सनातनी धर्म के हिंदू श्री राम जी के मर्यादित नियमों का पालन करते हुए मर्यादा में रहें क्योंकि आपके सनातनी धर्म ग्रंथ में यही सारा ज्ञान है लेकिन सभी मानव के कल्याण के लिए सेवा की भावना से सभी मानव एक समान हैं सभी जीवों की आत्मा में ईश्वर का वास है विश्व का कल्याण होना चाहिए लेकिन सनातन धर्म विश्व मानव का कल्याण करते करते विश्व में अपने सनातन धर्म का पतन कर चुका है कुछ भारत में बचा है, अभी भी विश्व के दूसरे धर्म के लोग सनातन धर्म को मिटाने में लगे हुए हैं जिसका ताजा उदाहरण आप हो रहे अत्याचारों में देख सकते हैं आज बांग्लादेश में हिन्दुओं पर किस धर्म के लोग अत्याचार कर रहे हैं, आपको इसके बारे में हमें बताने की जरूरत नहीं है, आप खुद ही जानते हैं।

हर राजनेता ने अपने सत्ता कार्यकाल के दौरान किसी न किसी धर्म को प्राथमिकता देकर उसकी रक्षा की है। अगर भाजपा के पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ सहित अन्य भाजपा नेता अपने सत्ता कार्यकाल के दौरान सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं तो वो क्या गलत कर रहे हैं?जबकि सनातन धर्म संस्कृति भारतीय मूल की आत्मा है, जबकि इन नेताओं का मुख्य उद्देश्य सबका साथ सबका विकास है और वो अपने सत्ता कार्यकाल के दौरान बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों के जरूरतमंद लोगों को समान रूप से सभी योजनाओं का लाभ दे रहे हैं।

जबकि समानता की इस भावना को आप सभी धर्मों में भाईचारे के रूप में देख सकते हैं, जरूरी नहीं है कि भाईचारा सिर्फ सीएम योगी और पीएम मोदी मुसलमानों की गोल टोपी पहनने पर ही दिखेगा, जो आज देश के विपक्षी दलों के नेताओं की ये बिल्कुल निराधार सोच है, जबकि सीएम योगी, पीएम मोदी अपने सनातनी धर्म के अनुसार निष्ठा दिखा रहे हैं, पीएम मोदी, सीएम योगी अपनी पार्टी बीजेपी को अपने लिए वोट बैंक की राजनीति के आधार पर नहीं चलाते हैं जो मुसलमानों की गोलटोपी पहनकर दिखाये की हम भारत के मुसलमानों के हितैषी हैं, जबकि ये उनके सनातनी धर्म ही उनकी अनूठी पहचान है। मुंह में राम और बगल में छुरी नहीं रखते, पीठ पर छुरा नहीं घोंपते या किसी विशेष समूह को धार्मिक रूप से खुश करके उन्हें गुमराह नहीं करते, हम सनातनी हिंदू हैं तो हिंदू है,यह पीएम मोदी और सीएम योगी का अपने सनातन धर्म संस्कृति के प्रति आदर्श है।

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और धर्मनिरपेक्षता में भी कई मतभेद हैं। जैसे भारत में कई हिंदू त्योहारों के दौरान, दूसरे धर्म के लोगों द्वारा पत्थरबाजी, लोगों को घायल करना और अशांति पैदा करने की कई घटनाएं होती हैं। अब इस सोशल मीडिया के माध्यम से, आपको फलों के रस में मानव मूत्र मिलाने, अन्य खाद्य पदार्थों में थूकने जैसी कई खबरें देखने को मिलती हैं, अब आप इन सभी कृत्यों को क्या कहेंगे? क्या यही वह धार्मिक भाईचारा है जिसे बनाए रखने की बात हर सनातनी हिंदू करता है? कौन देश को जोड़ रहा है और कौन धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इसे जोड़ कर वोट बैंक की राजनीति कर रहा है?

सनातनी धर्म संस्कृति के लोगों को यह समझने की जरूरत है कि पीडीए का नारा देकर वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेताओं को यह बताने की जरूरत है कि क्या हम सनातनी हिंदुओं को थूक और मूत्र खाकर और पीकर भाईचारा बनाए रखना चाहिए? क्या देश के पिछड़े, दलित, सनातनी हिंदू देश के वे लोग नहीं हैं जो तथाकथित अल्पसंख्यक मुसलमानों का थूक और मूत्र सहन करके सनातनी हिंदू भाईचारा बनाए रखेंगे? पीडीए बनकर। क्या यही हम सनातनी हिंदुओं की सहन शक्ति है?

गलत को गले लगाने वाले और उसे सहन कर चुपचाप बैठने वाले हम कब तक चुप बैठ सकते हैं? जब हम सनातनियों का सम्मान करेंगे और हमारे धर्म के लोगों के प्रति द्वेष को दूर करेंगे तब अनेकता में एकता भारत की विशेषता नजर आएगी। तब हम सनातनियों का कर्तव्य बनता है कि हम भाईचारा दिखाएं अन्यथा अपने धर्म की रक्षा के लिए हम भारतीय सनातनियों को कट्टर बनना पड़ेगा। जैसे वे अपने अंदर धार्मिक कट्टरता दिखाते हैं वैसे ही हम सनातनी हिंदू धर्म के लोगों को भी वही दिखाना होगा। सनातनी हिंदू धर्म संस्कृति से नफरत करने वाले धर्म के लोगों का पूर्ण रूप से बहिष्कार हमें करना चाहिए और उनके साथ हम हिंदुओ को व्यवहार करना बंद कर देना चाहिए। हमारी एकता, हमारी संस्कृति, हमारे लोग, यही हमारी पहचान है। गर्व से कहो हम सनातनी हिंदू हैं की गर्वता होनी चाहिए।

केवल प्राण निकलने से ही मृत्यु नही होती, मरा हुआ तो वह भी है- "जो अपने देश, धर्म और संस्कृति पर आघात होते हुए देखकर भी मौन है.."

 

 


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