महिला दिवस विशेष :- धैर्य, संघर्ष और सफलता की मिसाल : शिखा गोस्वामी निहारिका

महिला दिवस विशेष :- धैर्य, संघर्ष और सफलता की मिसाल : शिखा गोस्वामी निहारिका
मुंगेली, छत्तीसगढ़। जीवन की चुनौतियों को कलम से हराने वाली लेखिका_आज के दौर में, जहाँ लोग छोटी-छोटी परेशानियों से टूट जाते हैं, वहाँ शिखा गोस्वामी निहारिका जैसी सशक्त महिला हमें जीने की नई प्रेरणा देती हैं। बचपन से ही उन्होंने एक बड़े सपने को देखा—कुछ बड़ा करना, जो खुद को साबित कर सके। लेकिन जीवन ने उनके सामने कठिनाइयों की एक लंबी श्रृंखला खड़ी कर दी। गंभीर परेशानी से जूझते हुए भी उन्होंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया।
शिखा ने न केवल साहित्य की दुनिया में खुद को स्थापित किया, बल्कि अपनी लेखनी से समाज को भी जागरूक किया। उनके संघर्ष की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है—जहाँ एक नायिका हर मुश्किल से लड़कर अपने लक्ष्य तक पहुँचती है। मुसीबतों से लड़ते हुए भी उन्होंने अपनी रचनाओं को जारी रखा, क्योंकि उनके लिए लेखन सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा माध्यम है।
अब तक उनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें “कुछ भीगे अल्फाजों में”, “वजह मिल गई”, “आकांक्षी”, “Aspirant”, “निर्भया सांझ”, “गिरिराज नंदनी गिरिजा”, “उपवन”, “मेहंदी हाथों की”जैसे चर्चित संग्रह और उपन्यास शामिल हैं। उनकी लेखनी में रहस्य, रोमांस, थ्रिलर और सामाजिक मुद्दों की गहरी पकड़ देखने को मिलती है। उनकी कहानियाँ और कविताएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं और कई पुरस्कारों से सम्मानित भी हुई हैं।
वर्तमान में, वे साहित्य अकादमी की सदस्यता प्राप्त करने और अपनी रचनाओं को वहाँ तक पहुँचाने की दिशा में कार्य कर रही हैं। उनका यह संकल्प दर्शाता है कि अगर कोई सच्चे मन से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो, तो दुनिया की कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती।
शिखा की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो मुश्किलों से घबराकर हार मान लेती हैं। वे इस बात की साक्षात मिसाल हैं कि हौसला, धैर्य और मेहनत से किसी भी कठिनाई को मात दी जा सकती है। इस महिला दिवस पर, उनका संघर्ष और सफलता हमें यह सिखाती है कि जीवन में मुश्किलें आएँगी, लेकिन अगर हम हार मानने के बजाय लड़ने का जज़्बा रखते हैं, तो हर चुनौती को पार किया जा सकता है।