छत्तीसगढ़

Raipur New Land Rates : रायपुर में बदले गए जमीनों के सरकारी रेट, 8 साल बाद नई गाइडलाइन जारी…..

रायपुर। साल 2017-18 से रायपुर ज़िले में ज़मीनों के सरकारी रेट यानी गाइडलाइन दर बदले ही नहीं थे। इस वजह से पिछले 8 सालों में बहुत सारी गड़बड़ियाँ और रेट को लेकर भारी कन्फ्यूजन पैदा हो गया था। अब ज़िला प्रशासन ने इन सारी पुरानी उलझनों को खत्म करते हुए, ज़मीनों के नए और आसान रेट लागू कर दिए हैं।

रायपुर नगर निगम में 2019 और 2024 में दो बार परिसीमन कर वार्ड सीमाएँ बदली गई थीं। लेकिन गाइडलाइन दरें पुराने वार्ड नंबरों के आधार पर ही चल रही थीं। उदाहरण के तौर पर कई घर जिनके दस्तावेज़ों में वार्ड 26 लिखा था, वे वर्तमान में वार्ड 9 में आते हैं।

इस कारण लोग अपने घर या प्लॉट का सही सरकारी रेट (official land value) ही पता नहीं कर पा रहे थे। प्रशासन ने अब इस गड़बड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया है।

बीते आठ सालों में रायपुर में रिंग रोड, बड़ी कॉलोनियाँ, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, इंडस्ट्रियल ज़ोन और नई सड़कें विकसित हुईं। लेकिन सरकारी रेट अभी भी पुराने नक्शों पर आधारित थे। कई बड़े क्षेत्रों के नाम तक सूची में नहीं थे, जिससे खरीदारों और रजिस्ट्री करने वालों को भारी परेशानी होती थी।

रायपुर के रिंग रोड-2 की मिसाल लें- कहीं 19,000 रुपये प्रति वर्गमीटर तो कहीं 22,000 रुपये प्रति वर्गमीटर का रेट चल रहा था। एक ही सड़क पर दो-दो दरें होने से न सिर्फ लोग कन्फ्यूज होते थे, बल्कि कई बार विवाद और गलत रजिस्ट्री के मामले भी बढ़ते थे। अब प्रशासन ने यह कमी पूरी तरह दूर कर दी है।

अब से रायपुर में किसी भी सड़क पर ज़मीन का सरकारी रेट एक जैसा होगा। इससे लोगों को अपनी प्रॉपर्टी का रेट जानने में आसानी होगी और यह सिस्टम पारदर्शी भी बनेगा। कॉलोनी के नाम पर रेट तय करने की पुरानी व्यवस्था खत्म पहले कॉलोनी का नाम ही रेट तय करता था, भले ही दो कॉलोनियों में सुविधाएँ समान हों।

उदाहरण:वार्ड 7 में उषा प्राइड का रेट 25,000, उसके बगल की कॉलोनी का रेट 16,000

जबकि विकास स्तर लगभग एक जैसा था। अब प्रशासन ने यह असमानता खत्म कर दी है। अब वार्ड के अंदर समान सुविधाओं वाली सभी स्वीकृत कॉलोनियों के लिए एक ही रेट तय किया जाएगा।

पहले रायपुर नगर निगम क्षेत्र में 861 कंडिका थीं, जहाँ से लोग अपने क्षेत्र का रेट ढूंढते थे। यह संख्या बेहद अधिक थी और आम नागरिक के लिए समझना मुश्किल होता था। नए नियम में इन कंडिकाओं को घटाकर सिर्फ 454 कर दिया गया है। यानी रेट ढूँढना अब पहले से कहीं आसान और यूज़र-फ्रेंड्ली हो गया है।

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अब समान स्थिति वाले गाँवों के रेट बराबर किए गए हैं- जैसे धनेली, सांकरा, सिलतरा जैसे गाँव यदि एक ही हाईवे पर और समान लोकेशन पर हैं, तो अब इनके रेट समान होंगे।

पहले कई बार शहर के भीतर आने वाले गाँवों का रेट बाहर वाले गाँवों से कम होता था, जो अव्यवहारिक था। अब इस विसंगति को दूर करते हुए- नगर निगम सीमा में आने वाले गाँवों का रेट शहर के अनुरूप रखा गया है, ताकि उनकी वास्तविक आर्थिक स्थिति को न्याय मिले।

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