होली के अवसर पर उज्जैन में होगा बाबा उमाकान्त महाराज का भव्य सतसंग कार्यक्रम…

होली के अवसर पर उज्जैन में होगा बाबा उमाकान्त महाराज का भव्य सतसंग कार्यक्रम।
होली का कार्यक्रम – 13, 14 व 15 मार्च 2025 को उज्जैन आश्रम पर आयोजित किया गया है।
उज्जैन। आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी होली का कार्यक्रम – 13, 14 व 15 मार्च 2025 को उज्जैन आश्रम पर आयोजित किया गया है। जिसमें वक्त के दु:खहर्ता सन्त परम् पूज्य बाबा उमाकान्त महाराज अपने उज्जैन आश्रम पर रहेंगे। पूज्य बाबा ऐसे समरथ सन्त हैं जिनके सतसंग सुनने व उनके बताए रास्ते पर चलने से भौतिक कष्ट तो दूर होते ही हैं साथ ही साथ नामदान लेकर भजन करने पर अंतर में देवी-देवताओं के दर्शन का भी लाभ मिलता है। बहुत लोग बाबा जी से दया लेकर लाभ ले रहे हैं। कृपया इसी सूचना को निमंत्रण स्वरूप स्वीकार करते हुए सपरिवार पधार कर लाभ उठाएं।
होली का मतलब होता है कि जो होनी थी समझो हो ली, अब उस प्रभु के पास हो लो
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि होली के दिन बहुत से लोग अपना शरीर गंदा करेंगे, बहुत से लोग अपना कपड़ा गंदा करेंगे, बहुत से लोग भांग पीके मस्त रहेंगे, तो कोई दारू पीकर मस्त रहेगा, कोई इधर उधर पड़ा रहेगा और कहेंगे होली मना रहें हैं। यह कोई होली है? यह होली नहीं है। होली का मतलब होता है कि जो होनी थी समझो हो ली, क्या होनी थी? इस मृत्युलोक में, इस दु:ख के संसार में, दु:ख झेलने के लिए आना था। और अब क्या होनी है? अब इस मनुष्य शरीर में आ गए। तो अब उस प्रभु के पास हो लो, जहां से आए हो, जहां की यह बूंद है, जहां अपना घर है। मिट्टी और पत्थर का घर, जिसको आप अपना घर कहते हो, इसी को देखो बाप- दादा और अन्य लोग भी अपना कहते-कहते चले गए। यहां तो सच पूछो तो किसी का कुछ है ही नहीं। ना अपना घर है, ना अपना जमीन जायदाद है, और ना ही अपना शरीर है। यह मनुष्य शरीर आपको प्रभु को पाने के लिए दिया है। यह आपको प्रभु की आवाज सुनने के लिए दिया है। यह आपको देवी देवताओं के दर्शन, उनकी आवाज एवं अनहद वाणी सुनने के लिए दिया है। तो वह इसको खाली करा लेगा, इसीलिए अपने घर चलने की आशा बनाओ।
अगर उस प्रभु का रंग चढ़ जाए, तो ये सारे रंग फीके पड़ जाएंगे
यह फागुन मास में कहा गया “सूरत रंगे सतगुरु के साथ” जब सूरत (जीवात्मा) सतगुरु का साथ करेगी तब इसके ऊपर वहां का रंग चढ़ेगा। अभी तो इस शरीर में है जीवात्मा , तब यहां का रंग चढ़ा है। अभी तो आपको दुनिया का रंग चढ़ा हुआ है। कलयुग का रंग चढ़ा हुआ है। तो एक रंग यह चढ़ा हुआ है, लेकिन अगर उस प्रभु का रंग चढ़ जाए, तो ये सारे रंग फीके पड़ जाएंगे। और फिर उस रंग के आगे दुनिया के जितने भी रंग हैं सब फीके पड़ जाएंगे। अब यह रंग चढ़ेगा कैसे? कहा गया “रंग रे चुनरिया ए रंगरेजवा , रंग दे चुनरिया” तो वह कौन होते हैं जो रंग को रंगते हैं, रंग को बदल देते हैं? वक्त के सन्त सतगुरु ही होते हैं। ऐसा रंग जिसको चटक रंग, तेज रंग कहते हैं चढ़ा देते हैं कि उस पर फिर कोई दूसरा रंग नहीं चढ़ता है “सूर श्याम काली कमली को चढ़े न दूजो रंग”।
बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम “जयगुरुदेव”
किसी भी बीमारी, दुःख, तकलीफ, मानसिक टेंशन में शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त रहते हुए जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए व परिवार वालों को बोलवाइए और फायदा देखिए ।
कभी भी, कहीं से भी, सच्चा-सुखदाईसतसंग कैसे सुनें ?
सन्त उमाकान्त का सतसंग प्रतिदिन प्रातः 8:40 बजे से 9:10 बजे तक (कुछ समय के लिए) साधना भक्ति टीवी चैनल और अधिकृत यूट्यूब चैनल jaigurudevukm पर प्रसारित होता है।