छत्तीसगढ़

CG – स्वस्थ भारत के निर्माण मे.. स्कूली पाठ्यक्रम मे शारीरिक शिक्षा अनिवार्य करने की “”मांग पढ़े पूरी ख़बर

बिलासपुर//भारत भूमि आदिमानव की प्राचीनतम कर्मभूमि है आदिकाल से ही मनुष्य ने शारीरिक स्वस्थता के लिए आखेट, शिकार कर अपने शरीर को स्वस्थ रखते थे पहाड़ों नदी नालों दुर्गम स्थानों का सफर पैदल ही करते थे इस तरह भारतीय इतिहास में गुरुकुल की भी परम्परा स्थापित थी जहां आचार्य द्वारा गुरुकुल में शिष्य को चहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाया जाता था जहां शिष्य को संगीत विद्या ,पाक कला धनुर्विद्या, नृत्य तथा युद्ध नीति समाज नीति ,पारिवारिक दायित्व के साथ स्वस्थ भारत निर्माण के लिए एक स्वस्थ नागरिक का निर्माण किया जाता था जो की धीरे-धीरे समय परिस्थिति और व्यवस्था अनुसार परिष्कृत होता गया आज वर्तमान में रासायनिक युग में मनुष्य को सबसे ज्यादा संघर्ष अपने स्वास्थ्य के लिए करना पड रहा है हम अधो संरचना, विकास और उन्नति व प्रगति के नाम पर सिर्फ प्रदूषण और खाद्य के नाम पर सिर्फ रसायन ही परोसा रहे है पहले मनुष्य की औसत आयु 100 वर्ष हुआ करती थी पर वर्तमान में 60 वर्ष भी कह पाना न्याय संगत नहीं होगा।बच्चे बूढ़े जवान आज वर्तमान में कहीं ना कहीं ,कोई ना कोई बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं प्रतिदिन का दिनचर्या हमें प्रतिदिन तेजी से मौत की ओर ले जा रही है उसके बाद भी हमें आर्थिक उन्नति और विकास की प्रगति के नाम पर नशा परोसा जा रहा है भारत में 65% आबादी युवाओं का है और भारत को युवा देश भी कहा जाता है पर हमारे यहां युवा शराब ,नशे की गोलियां ,ड्रग्स, अफीम, गांजा का खुलेआम सेवन कर रहे हैं जिसका परिणाम यह हुआ कि युवा पीढ़ी पूरी तरह नशे के आदी हो रहे हैं , तन ,मन और मस्तिष्क तथा स्वास्थ्य का हास हो रहा है क्यों हमारी ग्रामीण व्यवस्था विलुप्त हो रही है जहां हम सुबह और शाम गांव में पारंपरिक खेल कबड्डी , खो- खो,रेस टीप, रिंग बांदा ,चूड़ी लुकवला आदि खेल नंदा रहे हैं आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि लोगों को अपनी जीवन शैली से जीवन के मूल आधार खेल से विमुख होना पड़ रहा है ? वह है वर्तमान की चौका चौंध, पाश्चात्य प्रभाव साधन सुविधा व आर्थिक प्रगति उन्नति के लिए ,सुविधा के लिए, एक दिखावे की अंधी दौड मे,हमने अपनी सभ्यता व संस्कार के साथ कुठाराघात कर दिया??जिसका परिणाम आज वर्तमान में हम सबको भुगतना पड़ रहा है।

आज वर्तमान में शारीरिक शिक्षा का विषय प्रासंगिक इसलिए है कि वर्तमान में जिस तरह शरीर को पौष्टिक भोजन की आवश्यकता है ठीक उसी तरह हमारी पीढ़ी को,हर व्यक्ति को शारीरिक स्वास्थ्य की आवश्यकता है । तभी हम भारत को एक स्वस्थ देश बना सकते हैं। कोई राष्ट्र महान इसलिए नहीं बनता कि उसकी व्यवस्था क्या है? राष्ट्र महान बनता है उस देश के नागरिकों के सामूहिक प्रयास से ,उनकी कार्यशैली से ,जीवन शैली से, और विचारों से …आज वर्तमान में शारीरिक शिक्षा एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है जिसकी आवश्यकता ग्रास रूट पर प्राथमिक स्तर से बच्चों को रोपित किया जाना चाहिए। जिसके लिए वर्तमान व्यवस्था शासन प्रशासन के पास कोई खेल की अनिवार्यता के लिए ठोस आधार या नियम नहीं है कि किस तरह हम अपने राज्य व देश में शारीरिक शिक्षा को एक अनिवार्य विषय के रूप में प्राथमिक स्तर से प्रारंभ कर सके। बच्चों को जितनी अन्य विषय की आवश्यकता है उससे कहीं ज्यादा शारीरिक शिक्षा का ज्ञान होना अनिवार्य व आवश्यक है शासन प्रशासन और हम सब नागरिकों को स्वस्थ राज्य व राष्ट्र के निर्माण के लिए प्राथमिक स्तर से ही स्कूली पाठ्यक्रम में शारीरिक शिक्षा को एक अनिवार्य विषय के रूप में अध्ययन करे व मैदान में प्रैक्टिस व्यायाम कसरत व पी ई टी करना चाहिए। जिससे कि विद्यार्थी बचपन से ही मोबाइल में खेलना बंद कर मैदान में आकर अपने श्वेत पानी अर्थात पसीना बहाकर स्वस्थ शरीर का निर्माण कर सके।

ठीक उसी तरह मध्यमिक स्तर पर तथा हायर सेकेंडरी स्कूलों में शारीरिक शिक्षा, हिंदी ,अंग्रेजी की तरह एक विषय के रूप में अध्ययन कराई जाए जिससे विद्यार्थी विज्ञान ,कला, वाणिज्य तथा गणित विषय की तरह शारीरिक शिक्षा को एक अनिवार्य विषय के रूप में अध्ययन करें । जिससे कि विद्यार्थियों में स्वस्थता के साथ -साथ बौद्धिक क्षमता का भी विकास होगा तथा थेवरी क्लास में खेल के प्रबंध, सिद्धांत, नियम, एनाटॉमी फिजियोलॉजी, खेल का इतिहास आदि विषयों के अध्ययन से अपने अंदर सहयोग की भावना, नेतृत्व क्षमता का विकास ,भाईचारा संगठन व हारकर भी जीतन की कला तथा जीवन जीने की कला विकसित होगा। तथा प्रैक्टिकल में उन्हें मैदान में खेल खेलना ही होगा जिससे शारीरिक स्वास्थ्य तथा स्वस्थ शरीर मे स्वस्थ मन और मस्तिष्क का निवास करता है कहावत को पूर्ण रूपेण चरितार्थ करेगा । इस दिशा में भारत सरकार वह बहुत सारे शैक्षिक संगठन बोर्ड ने कुछ अभिनव प्रयास भी किया है पर वह आज वर्तमान परिवेश में राज्यों में पूरी तरह अमली जामा नहीं पहन पाया है जिसका परिणाम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा माननीय प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता मे केन्द्रीय मंत्री मंडल व्दारा वर्तमान परिकल्पना अनुसार गांव-गांव में खेल शासकीय संस्थाओं में प्रारंभिक स्तर से खेल हेतु राष्ट्रीय खेल नीति 2025 को मंजूरी दी । अगर कड़ाई से ,संकल्प शक्ति से हर राज्य पालन करें तो स्कूली शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्राथमिक स्तर की पाठ्यक्रम से ही हायर सेकेंडरी स्कूल के पाठ्यक्रम तक शारीरिक शिक्षा को एक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जाना अत्यंत आवश्यक है ताकि विद्यार्थी विषय विकल्प लेकर खेल के क्षेत्र में अपने कैरियर का निर्माण कर सके बहुत सारे राज्यों के पाठ्यक्रम में व बहुत सारे शैक्षिक संगठन बोर्ड के पाठ्यक्रम में शारीरिक शिक्षा एक अनिवार्य विषय माना गया है किंतु आज वर्तमान में छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग के पाठ्यक्रम में शारीरिक शिक्षा को शामिल नहीं किया गया है जिसे वर्तमान स्वास्थ्य पारिस्थितिक को ध्यान में रखते हुए अनिवार्य लागू किया जाना चाहिए। महाविद्यालय में भी शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम तथा अध्यापन कराया जा रहा है जिससे बच्चे पढ़कर अपने खेल कैरियर का निर्माण करते हैं।

इस संबंध में छत्तीसगढ़ शारीरिक शिक्षा शिक्षक संघ भी लगातार 7 वर्षों से शासन प्रशासन से मांग कर रही है कि प्राथमिक स्तर पर शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई पाठ्यक्रम के माध्यम से काराई जाए जिसके संबंध में एस सी ई आर टी व्दारा विषय विशेषज्ञो की तीन दिवसीय कार्यशाला लगाकर शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम तैयार कर लिया गया है और अनुमति हेतु सचिव,स्कूल शिक्षा विभाग को भेजा गया है। प्रदेश के सभी विकासखंड मुख्यालय में एक पद सहायक विकासखंड खेल अधिकारी का हो जिसके नेतृत्व में संपूर्ण विकास खंड में खेल गतिविधियां संचालित किया जा सके तथा हाई स्कूलों में व्यायाम शिक्षक की भर्ती अभिलंब खेल गतिविधियां संचालित करने के लिए करें तथा हायर सेकेंडरी स्कूलों में व्याख्याता शारीरिक शिक्षक का पद हो जिससे कि वह शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को अध्यापन कराए तथा सभी विद्यार्थियों को मैदान में खेल कराये तथा शासकीय विभिन्न स्तर की प्रतियोगिताओं में खिलाडियों को सम्मिलित कराये…देश के लिए एशियाई खेल ,ओलंपिक खेल में मेडलिस्ट खिलाड़ी तैयार करें तथा गुरु द्रोणाचार्य बनाकर कारण और अर्जुन सा शिष्य बनाएं जो भारत भूमि को खेल रत्नो से गौरवान्वित करें। खिलाड़ियों को खेल के माध्यम से गौरव मिले राष्ट्रीय पहचान बने सरकारी नौकरी में आरक्षण व विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा जाए। और द्रोणाचार्य रूपी व्यायाम शिक्षकों के लिए खेल राज्य पुरस्कार शासन स्तर पर व्यवस्था होनी चाहिए जिस तरह शिक्षकों को शिक्षकीय कार्य के लिए महामहिम राज्यपाल पुरस्कार से नवाजा जाता है ठीक उसी प्रकार व्यायाम शिक्षकों को भी उनके कार्य व दक्षता के आधार पर उत्कृष्ट कार्यो के लिए महामहिम राज्यपाल महोदय से पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिए। वर्तमान में व्यायाम शिक्षक जिस दंश को झेल रहे हैं उनकी कल्पना करो तो ऐसा लगता है मानो चिराग तले अंधेरा है…
जो व्यायाम शिक्षक कोच बनाकर हिंदुस्तान के लिए खिलाड़ी पैदा करते हैं उनके जख्मों को देखने वाला कोई व्यवस्था या शासन ,प्रशासन नहीं है जहां खिलाड़ी का पसीना बहता है वहां कोच का खून लगता है तब कहीं देश का तिरंगा विदेश में खेल के लिए लहराता है। पर व्यायाम शिक्षक रूपी गुरु अंधेरे में ही अपना जीवन बीता देता है??आखिर क्यों ?!आखिर क्यों स्कूल शिक्षा विभाग की स्थापित पदोन्नति व क्रमोउन्नति का नियम व्यायाम शिक्षको पर लागू नही होता है ,एक व्यायाम शिक्षक 40 साल नौकरी के बाद भी व्यायाम शिक्षक के पद पर ही सेवानिवृत्त हो जाता है ,ना ही उनकी पदोन्नति होती है और ना ही क्रमोन्नति मिलती है आखिर ऐसा क्यों ??? यह सरकार व व्यवस्था के ऊपर एक प्रश्न चिन्ह है ??? जबकी लगातार सात, आठ वर्षो से माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय शिक्षा मंत्री जी को, माननीय खेलमंत्री जी को माननीय प्रदेश अध्यक्ष जी को माननीय सांसद जी को तथा संघ के बैनर तले महासम्मेलन मे माननीय श्री ब्रज मोहन अग्रवाल जी तात्कालिक शिक्षा मंत्री की घोषणा के बाद भी समाधान नही हुआ । क्यों व्यायाम शिक्षक स्कूल शिक्षा विभाग के स्थापित नियमों से परे हैं आखिर क्यों??नाम मात्र 33 जिला मुख्यालय में सहायक कीड़ा अधिकारी का पद,पेंड्रा रोड फिजिकल कॉलेज में व्याख्याता शारीरिक शिक्षक का पद जो गिनती के हैं तथा ष्ट्रायवल के खेल परिषरो मे वर्षों से कोच,वरिष्ठ कोच का पद रिक्त है..उसके अतिरिक्त जो व्यायाम शिक्षक बाढ़ जोड़ रहे हैं अपनी पदोन्नति या क्रमोन्नति के उनके लिए तो एक स्वप्न जैसा हो गया है।कि कब शारीरिक शिक्षा पाठ्यक्रम में लागू होगा, कब हम अध्यापन करायेंगे इसी सोच मे दिन काट रहे है।

प्रदेश के प्रत्येक हायर सेकेंडरी स्कूलों में व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए आखिर कब सरकार शासन प्रशासन इन द्रोणाचार्य की ओर ध्यान देगी? अब तो व्यायाम शिक्षक रूपी द्रोणाचार्य के चप्पल घिस गई है माननीयो से मिलकर सचिव स्कूल शिक्षा विभाग व संचालक सभी से मिलकर ,अपनी कालजई पीड़ा को बताया जा चुका है कितने खेल के सम्मेलन हुए, कितनी बार खेल नीतियां बनी, कितने खेल विषय के लिए आयोजन हुए ..गोष्ठी हुई….पर अजगर की तरह मुंह फैला है आज भी समस्याएं वही की वहीं खड़ी है??समय रहते हम सबको इस खेल विचार की क्रांति के लिए एक साथ आगे बढ़ना होगा ???नहीं तो हम और हमारा परिवार हमारा राज्य व राष्ट्र अस्वस्थ होकर बैसाखी में चलने को मजबूर हो जाएगा ।

इसलिए हम सब संकल्पित होकर एक स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए अपना योगदान कर अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। ऐसा लगता है कि मै खूद से बात कर रहा हूँ कोई इस आह व पुकार को सुनने वाला नही.. इसलिए अपना दीपक स्वयं बनो.. अप्पो दिपो भव।

“”मेरी कस्ती टूटी ही सही पर लहरो से टकराती तो है।
मत संघर्ष कराओ इसे नदियों और झिलो से, ये तो टकराती है समुन्दर की कोषो मिलो से।। “”कथन.. विरासत में सब कुछ मिल सकता है पर सेहत नही।

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