CG – शिक्षकों का डिमोशन : प्रधान पाठक से सहायक शिक्षक के पद पर किया गया पदावनत, इस वजह से हुआ डिमोशन…..

महासमुंद। फर्जी दस्तावेज से पदोन्नति प्राप्त करने वाले आठ प्रधान पाठकों की पदोन्नति निरस्त कर सहायक शिक्षक के पद पर पदावनत कर दिया गया है। फर्जी दस्तावेजों से पदोन्नति प्राप्त करने की मिली शिकायतों के बाद कलेक्टर विनय लगेंह ने इसे जांच के निर्देश दिए थे। जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर पदोन्नति निरस्त करने की कार्यवाही की गई। जिनकी पदोन्नति निरस्त की गई है उनमें एक की पहले ही निरस्त हो चुकी है वही सात की अब की गई है।
कलेक्टर विनय लंगेह को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति की शिकायत मिली थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने डीईओ विजय लहरे को जांच के निर्देश दिए। डीईओ ने संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग रायपुर से मार्गदर्शन ले मामले में पांच सदस्यीय जांच टीम गठित की। जांच टीम ने मामले की जांच की। जांच में फर्जी दस्तावेजों की पुष्टि होने पर शिक्षकों को नोटिस दे मौखिक और लिखित जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद 7 अन्य शिक्षकों को पदानवत करने सख्त कदम उठाए हैं। डीईओ विजय लहरे ने बताया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पदोन्नति की शिकायतों के बाद 18 शिक्षकों की जांच की गई। जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति ने दस्तावेजों की पड़ताल की। शिक्षकों के दस्तावेज अधिकारियों से मंगवाए। इसके बाद जांच समिति ने पाया कि 8 शिक्षकों की पदोन्नति नियमों के अनुरूप नहीं थी। इसके बाद उक्त शिक्षकों को अपना पक्ष रखने अवसर दिया गया। प्राथमिक शाला पिताईपाली में पदस्थ रहे शिक्षक दिनेश प्रधान की पदोन्नति फर्जी प्रशासनिक आदेश के आधार पर पहले ही निरस्त कर दी गई थी। उन्हें तत्काल प्रभाव से सहायक शिक्षक (एलबी) के पद पर पदावनत किया गया। हाल में जांच समिति की नवीनतम रिपोर्ट के आधार पर सात अन्य शिक्षकों जिसमें सतीश कुमार धुर्वे, नारायण सिदार, जयलाल भोई, चंद्रप्रकाश नायक, अभिमन्यु सिन्हा, ईश्वर लाल दीवान और गौरी नायक की पदोन्नति निरस्त कर दी गई। इन शिक्षकों को मौखिक और लिखित जवाब प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था, लेकिन उनके जवाब असंतोषजनक पाए गए। परिणामस्वरूप इन्हें प्रधान पाठक से सहायक शिक्षक के पद पर तत्काल प्रभाव से पदावनत किया गया है।
जांच समिति ने शेष 9 शिक्षकों में से 3 के दस्तावेजों को उच्च कार्यालय को अग्रेषित किया है। जबकि, 6 शिक्षकों को पात्र पाया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए की गई है।
इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग में सनसनी फैल गई है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त कोई भी लाभ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कदम न केवल अनियमितताओं पर अंकुश लगाने में प्रभावी साबित होगा, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में नैतिकता और जवाबदेही को भी अब बढ़ावा देगा। कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के मार्गदर्शन में शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और निष्पक्षता सर्वोपरि है। शेष तीन शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच उच्च कार्यालय द्वारा की जा रही है और जल्द ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। विभाग ने अन्य संभावित अनियमितताओं की जांच के लिए भी सतर्कता बढ़ा दी है।