फराज बने स्मार्ट बिजली उपभोक्ता अब अतिरिक्त बिजली बेचकर होगी आमदनी…

रायपुर: पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना एक नया अध्याय लिख रहा है। सरगुजा जिला के परराडाड़ निवासी श्री फराज ने 5 किलोवाट का सोलर पैनल अपने घर की छत पर लगाकर न केवल अपनी बिजली जरूरतें पूरी की हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली बेचकर आय अर्जित करने का मार्ग भी खोल लिया है।
शासन की डबल सब्सिडी ने घटाया खर्च
फराज ने बताया कि योजना के अंतर्गत उन्हें केंद्र सरकार से 78,000 रुपए और राज्य सरकार से 30,000 रुपए कुल 1,08000 रुपए सब्सिडी मिलेगी। इस अनुदान और बैंक के आसान लोन की वजह से अब आम उपभोक्ता भी आसानी से सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं। उनका कहना है कि यदि शासन से यह सहयोग न मिलता तो इस स्तर का सोलर पैनल लगाना कठिन हो जाता। इस वजह से सौर ऊर्जा पैनल लगाने का खर्च काफी कम हो गया।
स्मार्ट मीटर और मोर बिजली एप से निगरानी
फराज ने कहा कि उनके घर में स्मार्ट मीटर लगा हुआ है और मोर बिजली एप के माध्यम से उन्हें रोजाना यह जानकारी मिलती है कि उनका सौर ऊर्जा संयंत्र कितनी बिजली उपयोग (इम्पोर्ट) कर रहा है और कितनी बिजली बिक्री (एक्सपोर्ट) कर रहा है। एप से उन्हें न केवल दैनिक खपत की रिपोर्ट मिल जाती है बल्कि यह भी पता चलता है कि घर की खपत को कैसे कम किया जा सकता है।
योजनांतर्गत के अतिरिक्त बिजली से होगी आमदनी
श्री फराज ने बताया कि पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत बिजली विभाग से अनुबंध हुआ है। इस अनुबंध के अनुसार, उनके सूर्य घर से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को विभाग खरीद लेगा और इसका भुगतान वित्तीय वर्ष के अंत में किया जाएगा। इस व्यवस्था से अब फराज केवल उपभोक्ता नहीं बल्कि बिजली विक्रेता भी बन गए हैं।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहल
फराज ने बताया कि कोयला और अन्य पारंपरिक स्रोतों की बजाय स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर वातावरण सुरक्षित हो रहा है। सौर ऊर्जा अपनाने से न केवल आर्थिक लाभ हो रहा है बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बड़ा योगदान है। उन्होंने पीएम सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना की सराहना करते हुए कहा कि शासन सब्सिडी देकर लोगों को योजना का लाभ लेने हेतु प्रोत्साहित कर रहा है। यह योजना न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है बल्कि स्वच्छ एवं सौर ऊर्जा के प्रयोग से पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।